किसान सोयाबीन की बोवनी 4 इंच वर्षा होने के बाद ही करें
मध्य प्रदेश में खरीफ मौसम में सोयाबीन फसल की बुआई मुख्य रुप से की जाती है . भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान इंदौर की अनुशंसा के आधार पर कृषि विभाग द्वारा जिले के किसानों को महत्वपूर्ण सलाह दी गई है।
- सलाह के अनुसार वर्षा के आगमन पश्चात्, सोयाबीन की बोवनी हेतु मध्य जून से जुलाई के प्रथम सप्ताह का उपयुक्त समय है।
- नियमित मानसून के पश्चात लगभग 4 इंच वर्षा होने के बाद ही बुवाई करना उचित होता है।
- मानसून पूर्व वर्षा के आधार पर बोवनी करने से सूखे का लम्बा अंतराल रहने पर फसल को नुकसान हो सकता है।
बीज व्यवस्था
स्वयं के पास उपलब्ध बीज का अंकुरण परिक्षण कर लें कम से कम 70 प्रतिशत् अंकुरण क्षमता वाला बीज ही बुआई के लिए रखें यदि आप बाहर कहीं ओर से उन्नत बीज लाते हैं तो विश्वसनीय/विश्वास पात्र संस्था/संस्थान से बीज खरीदें साथ हीं पक्का बिल अवश्य लेवें एवं स्वयं भी घर पर अंकुरण परीक्षण करें।
किसान भाई अपनी जोत के अनुसार कम से कम 2 -3 किस्मों की बुआई करें।
जिले में सोयाबीन की अनुशंसित किस्में
- जेएस 95-60,
- जेएस 93.05,
नवीन किस्में
- जेएस 20-34,
- जेएस 20-29 एवं आरवीएस 2001-04,
- एनआरसी-86,
- जेएस-9752 प्रमुख है।
बीज उपचार
- किसान बीज की बुआई से पूर्व बीजोपचार जरुर करें।
- बीजोपचार हमेशा फजिंसाईड , राइजोबियम में करना चाहिये।
इस हेतु जैविक फफूंदनाशक ट्रोईकोडर्मा वीरडी 5 ग्रा./किग्रा. बीज अथवा फफूंदनाशक (थायरम+कार्बोक्सीन 3 ग्रा./कि.ग्रा. बीज) या थायरम+ कार्बेन्डाजिम (2:1) 3 ग्रा./कि.ग्रा. अथवा पेनफ्लूफेन+ट्रायफ्लोक्सीस्ट्रोबीन (1 मि.ली./कि.ग्रा.) के मान से उपचारित करें।
गत वर्ष जहां पर पीला मोजेक की समस्या रही है वहां पीला मोजेक बीमारी की रोकथाम हेतु अनुशंसित कीटनाशक थायोमिथाक्सम 30 एफ.एस. (10 मि.ली./कि.ग्रा. बीज) या इमिडाक्लोप्रिड 48 एफ.एस. (1.2 मि.ली./कि.ग्रा. बीज) से अवश्य उपचारित करें। इसके बाद जैव उर्वरक (राइजोबियम एवं पीएसबी कल्चर (5 से 10 ग्राम/कि.ग्रा. बीज के मान से) का अनिवार्य रुप से उपयोग करें।
बीज दर
अनुशंसित बीज 75-80 कि.ग्रा./हे. की दर से उन्न्त प्रजातियों की बुआई करें। (एक हेक्टर क्षेत्र में लगभग 4.50 लाख पौध संख्या होनी चाहिए) कतार से कतार की दूरी कम से कम 14-18 इंच के आसपास रखें। गत वर्ष अधिक वर्षा के कारण सोयाबीन की फसल प्रभावित हुई थी इस स्थिति काम ध्यान में रखते हुये यदि संभव हो तो रेज्ड बैड विधि से फसल की बुआई करें। इस विधि से फसल बुआई करने से कम वर्षा एवं अधिक वर्षा दोनों स्थिति में फसल को नुकसान नहीं होता है।
खाद/उर्वरक
नाईट्रोजन, फास्फोरस, पोटास एवं सल्फर की मात्रा क्रमशः 20:60:30:20 कि.ग्रा./हे. के मान से उपयोग करें। इस हेतु निम्नानुसार उर्वरक का उपयोग कर सकतें हैं एन.पी.के. (12:32:16) 200 किग्रा.+25 किग्रा. जिंक सल्फेट प्रति हेक्टर। डी.ए.पी. 111 किग्रा. एवं म्यूरेट ऑफ पोटाश 50 किग्रा.+25 किग्रा. जिंक सल्फेट प्रति हेक्टर।
किसान फसल बुवाई यदि (डबल पेटी) सीड कम फर्टिलाईजर सीड ड्रिल से करते है तो बहुत अच्छा है जिससे उर्वरक एवं बीज अलग अलग रहता है और उर्वरक बीज के नीचे गिरता है तो लगभग 80 प्रतिशत उपयोग हो जाता है डबल पेटी बाली मशीन न हो तो अन्तिम जुताई के समय पर अनुशंसित उर्वरक का उपयोग करें।
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