इस समय सभी को कोरोना से बचने के लिए घरों में ही रह रहे हैं, लेकिन ऐसे बहुत से जरूरी काम हैं, जिन्हें करने के लिए घर से निकलना ही पड़ता है, ऐसा ही एक ही काम है खेती-किसानी का काम।
कृषि विज्ञान केंद्र, कटिया सीतापुर के फसल सुरक्षा वैज्ञानिक डॉ दया शंकर श्रीवास्तव बता रहे हैं कि कैसे इस समय खेती से जुड़े जरूरी काम कर सकते हैं।
किसान साथियों हम सब इस वैश्विक महामारी से बुरी तरीके से प्रभावित है एक ओर कुछ दिनों पूर्व हुई ओलावृष्टि से जहां किसानों की फसलें तबाह हुई वहीं उसके बाद कोरोना जैसी भयावह बीमारी ने कृषि पशुपालन की मानो कमर तोड़ दी हो। लेकिन हम सबको विपदा की इस घड़ी में सावधानीपूर्वक और सूझबूझ का प्रयोग करते हुए कार्यों का सतत निर्वहन करना होगा ताकि हम परिवार और देशवासियों का पेट भर सकें।
कटाई करते समय किन किन बातों का ध्यान रखें
1) फसल कटाई में कृषि यंत्र की मदद लें मानव श्रम लगाने से बचें।
2) कोशिश करें कटाई कार्यों में परिवारिक सदस्यों का भी सहयोग ले किसी बाहरी व्यक्ति से बचाव करें।
3) जो व्यक्ति कृषि कार्यों में लगे हुए हैं वह अपने कृषि यंत्रों को समय-समय पर डिटर्जेंट से साफ करते रहे।
4) कटाई के समय उचित दूरी एवं सुरक्षा संबंधी उपाय जैसे सैनिटाइजर, फेस मास्क और शरीर को ढककर रखें और कटाई के बाद साबुन से स्नान कर लें।
5) अनाज एकत्रीकरण, प्रोसेसिंग, सफाई ,ग्रेडिंग ,छटाई पैकिंग, भंडारण इत्यादि कार्यों में कम से कम लेबर लगाएं और तीन चार फीट की दूरी बनाए रखें।
6) भंडारण से पहले अनाज को अच्छी तरह सुखा लें और पुराने बोरों का प्रयोग ना करें यदि आवश्यक लगे तभी उपयोग करें और कीटनाशक मेलाथियान 0.2 % का बोरो पर छिड़काव अवश्य करें
7) अनाज, फल -सब्जी इत्यादि की लोडिंग और अनलोडिंग के समय उचित दूरी बनाए रखें।
जो फसलें समय खड़ी हुई हैं उनकी देखभाल कैसे करें
फल-सब्जियों की खेती
गर्मियों में किसान सबसे ज्यादा कद्दूवर्गीय सब्जियों की खेती करते हैं जैसे तोरई ,कद्दू ,खीरा, लौकी ,करेला, खरबूज, तरबूज इत्यादि जिसके लिए आवश्यक सुझाव निम्न हैं।
फल मक्खी कीट नियंत्रण
फल मक्खी कीट फलों में दाग और सड़न कर फलों को बर्बाद कर देती है।
जैविक नियंत्रण-
1) फ्रूट फ्लाई ट्रैप 10 से 15 प्रति एकड़ लगाएं और 15 -15 दिन बाद ल्योर बदलते रहें। यदि फ्रूट फ्लाई ट्रैप नहीं मिल पा रहा हो तो केले के छिलके में मैलाथियान या डाईक्लोरवास की कुछ बूंदें डालकर खेत में 20-25 जगह बिखेर दें।
2) खेत में सुबह शाम धुआं करें और उसमें लोहबान, कपूर व लाल मिर्च पाउडर भी डालकर धुवाँ कर सकते हैं।
3) गोबर के उपले की जली हुई राख को सुबह शाम बुरकाव करते रहें।
लाल गुझिया कीट
जैविक नियंत्रण-
1) पत्तियों पर उपले की जली हुई राख सुबह-शाम बुरकाव करते रहें खेतों के आसपास सुबह शाम लोहबान, कपूर, लाल मिर्च पाउडर एवं नीम की पत्तियां सुलगाकर धुआं करते रहें
2) वानस्पतिक कीटनाशक तैयार करें ( नीम की पत्ती 500 ग्राम, कंजी की पत्ती 500 ग्राम, धतूरा के प्रति 200 ग्राम, मदार की पत्ती 200 ग्राम, शरीफा की पत्ती, 500 ग्राम, अमरूद की पत्ती 500 ग्राम, बेशरम की पत्ती 500 ग्राम, तंबाकू की पत्ती 200 ग्राम, लहसुन 250 ग्राम ,लाल मिर्च पाउडर 100 ग्राम, काली मिर्च 25, लौंग 25 को पीस कर दोगुने पानी में धीमी आंच पर 2-3 घंटे पकाएं ……ठंडा होने पर छान लें एवं इस अर्क की 250 मिलीलीटर मात्रा को 15 लीटर पानी में मिलाकर मान से 7 दिन के अंतराल पर छिड़काव करें)
रस चूसक कीट / सूक्ष्म कीट
जैविक नियंत्रण-
पीला चिपचिपा पाश 20 से 25 प्रति एकड़ लगाएं… घर पर पीला चिपचिपा पाश तैयार करने हेतु टीन- कनस्तर के डिब्बों को 4 भाग में काट लें एवं प्रत्येक भाग पर पीला पेंट से पुताई कर लें सूखने के उपरांत उसमें ग्रीस लगाकर खेतों में 20 25 जगह टांग दें तथा 5 दिन उपरांत ग्रीस लगाते रहें।
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