किसानों को होगा फायदा
एमपी में 2025 तक 65 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में होगी सिंचाई सुविधा.
तीन नए सिंचाई प्रोजेक्ट से बदलेगी खेती-किसानी की तस्वीर. अब माइक्रो इरीगेशन पर फोकस कर रही है सरकार.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में मंगलवार को मंत्रिपरिषद की बैठक हुई.
मंत्रिपरिषद ने रीवा, बुरहानपुर और सिंगरौली में 900 करोड़ रुपये से अधिक की सिंचाई परियोजनाओं की प्रशासकीय मंजूरी प्रदान की.
इन परियोजनाओं से 50 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा प्राप्त होगी. जिससे किसानों को फायदा होगा.
उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी. सरकार ने रीवा में त्योंथर परियोजना के लिए 89 करोड़ 83 लाख रुपये की रकम की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की. यह सूक्ष्म सिंचाई परियोजना है.
इससे त्योंथर तहसील के 52 गांवों की 7600 हेक्टेयर जमीन में सिंचाई सुविधा मिलेगी. कृषि क्षेत्र की तरक्की के लिए सिंचाई सबसे अहम है.
बुरहानपुर जिले की पांगरी मध्यम (होज) सिंचाई परियोजना की लागत 145 करोड़ 10 लाख रुपये होगी.
इसकी सिंचाई क्षमता 4400 हेक्टेयर होगी. इसकी भी प्रशासकीय मंजूरी मिल गई है.
परियोजना से खकनार तहसील के 10 गांवों को भूमिगत पाइप लाइन से सूक्ष्म सिंचाई (होज) पद्धति से सिंचाई सुविधा प्राप्त होगी.
सूक्ष्म सिंचाई से पानी की कम खपत होगी. फसल उत्पादन में वृद्धि होगी.
सिंगरौली में सूक्ष्म सिंचाई के प्रोजेक्ट को मंजूरी
मंत्रिपरिषद ने सिंगरौली जिले की सिंगरौली एवं माड़ा तहसील के 38 हजार हेक्टेयर सिंचाई क्षेत्र में भूमिगत पाइप लाइन से उच्च दाब पर सूक्ष्म सिंचाई (स्प्रिंकलर) पद्धति के प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है.
इसके जरिए 113 गांवों में सिंचाई सुविधा मिलेगी. इसे रिहन्द सूक्ष्म सिंचाई परियोजना नाम दिया गया है.
जिसकी लागत राशि 672 करोड़ 25 लाख रुपये है. सरकार ने उम्मीद जाहिर की है कि इन परियोजनाओं से मध्य प्रदेश में कृषि क्षेत्र का विकास तेज होगा.
मध्य प्रदेश में कितना है सिंचित क्षेत्र
किसी भी प्रदेश में खेती की तरक्की के लिए अच्छी सिंचाई सुविधा का होना जरूरी है. मध्य प्रदेश में इसकी कोशिश जारी है.
यहां केन-बेतवा लिंक परियोजना से लगभग 10 लाख हेक्टेयर रकबे में सिंचाई सुविधा प्राप्त होगी.
इसके लिए 44,605 करोड़ रुपये मंजूर हैं. इससे पन्ना, टीकमगढ़, शिवपुरी, दतिया, रायसेन, विदिशा, सागर, दमोह एवं छतरपुर जैसे जिलों को फायदा पहुंचेगा.
उधर, प्रदेश के जल-संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट के मुताबिक 2025 तक प्रदेश में 65 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने का लक्ष्य है.
साल 2003 में जहां प्रदेश में शासकीय स्रोतों से कुल सिंचाई का रकबा लगभग 7 लाख हेक्टेयर था वहीं अब करीब 43 लाख हेक्टेयर हो गया है.
माइक्रो इरीगेशन पर फोकस
कृषि मंत्री कमल पटेल का कहना है कि प्रदेश में हर किसान को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराया जाएगा.
किसानों को माइक्रो इरीगेशन पर जोर देने की जरूरत है.
बता दें कि केंद्र सरकार माइक्रो इरीगेशन स्कीम पर इन दिनों फोकस कर रही है.
ताकि कम पानी में फसलें तैयार हों, उत्पादकता ज्यादा हो और लागत कम आए.
माइक्रो इरीगेशन प्रोजेक्ट पर सरकार किसानों को कहीं 70 तो कहीं 85 फीसदी तक की सब्सिडी दे रही है.
बढ़ते जल संकट के बीच भविष्य में यही खेती का सही रास्ता है.
source : tv9hindi
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