दूध बेचकर बन जाएंगे लखपति
जर्सी गाय का रंग हल्का पीला होता है, जिस पर सफेद रंग के चित्ते बने रहते हैं.
वहीं, किसी-किसी जर्सी गाय का रंग हल्का लाल या बादामी भी होता है.
साथ ही इस गाय का सिर छोटा, पीठ एवं कन्धा एक लाइन में होते हैं. यानी जर्सी गाय लम्बे सींग और बड़े कूबड़ वाली नहीं होती हैं.
12 से 15 लीटर दूध देने की क्षमता
भारत खेती-किसानी के बाद किसानों के लिए आय का सबसे बड़ा स्रोत पशुपालन ही है.
इनमें भी सबसे ज्यादा पशुपालक गायों का ही पालन करते हैं.
आमतौर पर विशेषज्ञ पशुपालकों को सबसे ज्यादा जर्सी गाय के पालन की सलाह देते हैं.
इस गाय को दुधारू गायों में एक माना जाता है. जर्सी गाय आमतौर पर रोजाना 12 से 15 लीटर दूध देने की क्षमता रखती है.
बता दें कि जर्सी गाय की पहचान करना बेहद आसान होता है.
इस गाय का रंग हल्का पीला होता है, जिस पर सफेद रंग के चित्ते बने रहते हैं.
इसके किसी-किसी का रंग हल्का लाल या बादामी भी होता है.
साथ ही इस गाय का सिर छोटा, पीठ एवं कन्धा एक लाइन में होते हैं. यानी जर्सी गाय लम्बे सींग और बड़े कूबड़ वाली नहीं होती हैं.
ताममान वाली परिस्थितियां
जर्सी गाय खुद को ठंड तापमान में अच्छी तरह से ढालती है. इन्हे अच्छे दूध उत्पादन के लिए ठंडी जलवायु की आवश्यकता पड़ती है.
गर्म मौसम में खुद को ढालना उनके लिए मुश्किल होता है. इसलिए विशेषज्ञ इस गाय के अनुकूल ताममान वाली परिस्थितियां बनाने की सलाह देते हैं.
जहां आमतौर पर देसी गाय 30-36 महीने में पहला बच्चा देती है. वहीं, जर्सी गाय 18-24 महीने में पहला बच्चा दे देती है.
भारतीय गाय के मुकाबले ये गाय अपने पूरे जीवन में 10 से 12 या फिर कभी-कभी 15 से अधिक बछड़ों को भी जन्म देती है.
इसके अलावा जर्सी गाय बछड़े को जन्म नहीं देती है, यही वजह है पशुपालकों के लिए इस गाय का पालन करना मुनाफेदार होता है.
source : tv9hindi
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