मोटी कमाई करने के लिए जमकर खेती कर रहे हैं किसान
इसकी खेती भारत के उत्तर और उत्तर पश्चिम भागों में, विशेषकर पंजाब, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल से लेकर असम तक में की जाती है.
यह एक झाड़ीय पौधा है और यह वार्षिक पौधा है. इसकी लंबाई 20 से 30 सेंटी मीटर होती है.
भारत में एक से एक तरह के फसल और पौधों की खेती की जाती है. हालांकि ज्यादातर किसान पारंपरिक फसलों की ही खेती करते हैं.
लेकिन अधिक कमाई करने के लिए अब किसान व्यावसायिक फसलों या नकदी फसलों की खेती करने लगे हैं. इसी तरह की एक फसल है कलौंजी.
इसकी खेती से किसान एक एकड़ में दो लाख रुपए तक कमा सकते हैं.
मुख्य रूप से कलौंजी की खेती इसके बीज के लिए की जाती है. कुछ हिस्सों में इसे मंगरैल भी कहते हैं.
कलौंजी के बीज का इस्तेमाल आचार बनाने में किया जाता है. वहीं इसके बीज से निकले तेल से अलग-अलग तरह की दवाइयां बनाई जाती हैं.
कई उत्पादों में सुगंध के लिए भी कलौंजी के बीजों का इस्तेमाल किया जाता है.
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काफी पोषक तत्व पाए जाते हैं
कंलौजी के बीजों का औषधी के रूप में में भी उपयोग होता है. इसके बीजों को कृमि नाशक, उत्तेजक और प्रोटोजोवा रोधी के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है.
इसे कैंसर रोधी औषधि के रूप में भी प्रभावी पाया गया है. इसका प्रयोग बिच्छू काटने पर भी किया जाता है.
इसके बीजों से सुगंधित तेल निकलता है. जिसमें निगेलोन, मिथाइल, आईसोप्रोपिल और क्विनोन होते हैं.
इशके बीजों में पामीटिक, मिरिस्टिक, स्टिएरिक, ओलेइक और लिनोलनिक नामक वसा अम्ल पाए जाते हैं.
इसके अतिरिक्त इसके बीजों में बीटा सिटोस्टैरॉल भी पाया जाता है. इस तरह यह बहुत ही महत्व का औषधीय पौधा है.
कलौंजी की खेती भारत के उत्तर और उत्तर पश्चिम भागों में, विशेषकर पंजाब, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल से लेकर असम तक में की जाती है.
कलौंजी एक झाड़ीय पौधा है और यह वार्षिक पौधा है. इसकी लंबाई 20 से 30 सेंटी मीटर होती है.
इसका फल बड़ा और गेंद के आकार का होता है, जिसमें काले रंग के लगभग तीकोने अकार के तीन मिली मीटर तक लंबे खुरदुरी सतह वाले बीजों से भरे 5 से 7 खाने बने होते हैं. इसी में कलौंजी के बीज पाए जाते हैं.
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रबी सीजन में कर सकते हैं खेती
अक्टूबर से लकेर आधे नवंबर तक का समय कलौंजी की बुवाई के लिए उपयुक्त होता है. पकने के समय हल्की गर्म जलवायु की जरूरत होती है.
दोमट या बलुई दोमट मिट्टी में कलौंजी के फसल उत्पादन के लिए उपयुक्त होती है.
भारत के जिन हिस्सों में रबी की फसल उगाई जाती है, वहां कलौंजी की खेती की जा सकती है.
भरपूर उत्पादन के लिए खेत को अच्छी तरह से तैयार करना जरूरी होता है. इसके लिए पहली जुताई मिट्टी पहलटने वाले हल से करनी चाहिए.
इसके बाद दो-तीन जुताई कल्टीवेटर से कर के खेत को भुरभुरा बनाना जरूरी होता है. इसके बाद पाटा लगाकर खेत को समतल बनाया जाता है.
अच्छे अंकुरण के लिए बुवाई में खेत से पहले उचित नमी होनी चाहिए. इसलिए बुवाई से पहले खेत को पलेवा जरूर कर दैं.
ज्यादा उत्पादन प्राप्त करने के लिए जैविक खाद का इस्तेमाल किया जा सकता है. किसान भाई प्रति एकड़ 10 टन गोबर की खाद या कम्पोस्ट खाद डाल सकते हैं.
एक एकड़ में दो लाख रुपए होगी कमाई
कलौंजी की पहली सिंचाई बीज को खेत में लगाने के बाद कर देनी चाहिए. दूसरी सिंचाई बीजों के अंकुरित होने तक नमी के आधार पर करनी चाहिए.
खर-पतवार से मुक्त रखने के लिए दो से तीन निराई की जरूरत होती है.
प्रति एकड़ 10 टन तक कलौंजी का उत्पादन किया जा सकता है. आज के समय में कलौंजी के बीज 20 हजार रुपए प्रति क्विंटल बिक रहे हैं.
यानी आप एक एकड़ में खेती से आसानी से 2 लाख रुपए कमा सकते हैं. इससे स्पष्ट है कि किसान कलौंजी की खेती से अपनी आय में काफी बढ़ोतरी कर सकते हैं.
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