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मसूर की उन्नत खेती ( वैज्ञानिक तकनीक )

मसूर की उन्नत खेती

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बुआई का समय

रबी में – बुआई का समय – 15 अक्टूबर से 30 नवंबर के बीच

फसल अवधि – 130 से 170 दिन

 

तापमान , मिट्टी की तैयारी व खेत की जुताई

मसूर की खेती सभी प्रकार की मिटटी में की जा सकती है लेकिन इस फसल के लिए बलुए दोमट मिटटी अच्छी मानी जाती है।

फसल की बुवाई करने से पहले खेत की 2-3 जुताई हैरों या देशी हल से करने के बाद पाटा लगा दें।

 

मसूर की उन्नत किस्में ( Varieties )

  • पूसा शिवालिक ( एल 4076 ) – अवधि 130 से 140 दिन मसूर की यह किस्म बड़े आकार के दाने वाली है , जो 130 140 दिन में पक कर तैयार होती है । इस किस्म से एक हैक्टेयर क्षेत्र से 25 क्विंटल तक उपज प्राप्त होती है ।
  • पन्त मसूर 5 – अवधि 160 से 170 दिन यह मसूर की किस्म गेरूई , उकठा एवं झुलसा रोग के प्रति अवरोधी , समय से बुवाई एवं बड़े दाने वाली मसूर है । यह किस्म160-170 दिन में पककर तेयार हो जाती है । इस किस्म से 18-20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज मिलती है।
  • वी एल मसूर 125 – अवधि 160 से 165 दिन इस किस्म का दाना काले रंग का , पौधे की ऊँचाई 30 से 32 सेंटीमीटर , फसल पकाव की अवधि 160 से 165 दिन तथा उकठा एव जड़ विगलन रोगों हेतु प्रतिरोधी और उपज क्षमता 18 से 20 क्विंटल प्रति हक्टयर है ।
  • Garima – अवधि 130 से 135 दिन यह सिंचित और असिंचित दोनों क्षेत्रों में उगाई जा सकती है । इसके पत्ते चौड़े और हरे रंग के होते हैं । इसके दाने सपना किस्म के दानों से बड़े होते हैं । यह किस्म 135 दिनों में कटाई के लिए तैयार जाती है । इसकी औसतन पैदावार 6 क्विंटल प्रति एकड़ होती है ।
  • वी एल मसूर 1 – अवधि 165 से 170 दिन यह किस्म 165 से 170 दिन में तैयार हो जाती है । यह रोग प्रतिरोधी किस्म है इससे प्रति हेक्टेयर लगभग 10 से 12 क्विंटल पैदावार प्राप्त हो सकती है ।
  • वी एल मसूर 103 – अवधि 170 से 175 दिन इस किस्म का छिलका भूरा और दाना छोटा होता है । यह फसल लगभग 170 से 175 दिनों में तैयार हो जाती है । इससे प्रति हेक्टेयर लगभग 12 से 14 क्विंटल पैदावार प्राप्त हो सकती है ।
  • अरुण ( पी एल 77 – 12 ) – अवधि 110 से 120 दिन इस किस्म का दाना मध्यम आकार का होता है । यह किस्म 110 से 120 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है । इससे प्रति हेक्टेयर 22 से 25 क्विंटल पैदावार मिलती है ।
  • पंत मसूर 4 – अवधि 160 से 170 दिन यह किस्म पर्वतीय क्षेत्रों के अनुकूल रहती है । यह किस्म 160 से 170 दिनों में तैयार हो जाती है । इस किस्म का दाना छोटा होता है । इससे प्रति हेक्टेयर लगभग 15 से 20 क्विंटल की पैदावार मिलती है ।
  • पंत मसूर 639 – अवधि 135 से 140 दिन यह लगभग 135 से 140 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है । इसे प्रति हेक्टेयर 18 से 20 क्विंटल पैदावार मिलती है।

 

बीज की मात्रा

मसूर की 1 एकड़ फसल तैयार करने के लिए छोटे दानों वाली किस्मों के लिए 20 से 25 किग्रा , बड़े दानों वाली प्रजातियों के लिए 22 से 30 किलोग्राम प्रति एकड़ इस्तेमाल करे।

बीज उपचार

बीज जनित फफूंदी रोगों से बचाव के लिए कार्बेन्डाजिम 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करना चाहिए । इस उपचार के 4-5 घण्टे बाद राइजोबियम कल्चर से उपचार करें।

बुआई का तरीका

मसूर की फसल बुवाई को बुवाई के समय कतारों से कतारों की दूरी 20 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 10 सेमी रखे।

 

उर्वरक व खाद प्रबंधन

मसूर की फसल बुवाई के समय 10 किलोग्राम यूरिया , 20 किलोग्राम dap , 10 किलोग्राम पोटाश तथा 10 किलोग्राम सल्फर प्रति एकड़ के हिसाब से इस्तेमाल करे।

 

मसूर की खेती मे सिंचाई

मसूर की फसल को ज्यादा सिंचाई की जरुरत नहीं होती है । 40 से 45 दिन की फसल में एक सिचाई करे।

फसल की कटाई

मसूर की फसकल में जब पौधे के पत्ते सूख जाएं और फलियां पक जाएं तब फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है।

कटाई करने के बाद अच्छे से सुखाकर फलियों को थ्रेसिंग करे।

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