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सागर के किसान ने म्यूजिक सिस्टम लगाकर निकाला खेती करने का अनोखा तरीका

 

1 एकड़ में म्यूजिक सिस्टम लगाकर फसल को 6 महीने संगीत सुनाया 

 

15 क्विंटल ज्यादा हुई अदरक की पैदावार 

 

सागर के किसान ने अपने 12 एकड़ के फार्म हाउस में म्यूजिक सिस्टम लगाये है, खुद के लिए नही बल्कि वहाँ की फसलो, पेड़-पौधो, गायो और जीव-जन्तुओ को संगीत सुनाने के लिए  इसका जबरदस्त सकारात्मक परिणाम सामने आया है।

 

पहले जिस एक एकड के खेत में 50 क्विंटल अदरक की फसल पैदा होती थी, वही अब संगीत सुनाकर 65 क्विंटल पैदावार हुई यानी 15 क्विंटल अदरक ज्यादा ।

 

युवा किसान आकाश चौरसिया सागर से सटे गाँव तीली व कपूरिया में जैविक खेती करते है यहाँ सबकुछ जैविक उत्पन्न किया जा रहां है चौरसिया का यह प्रयोग यही नही थमा। उन्होंने केचुओ को भी संगीत सुनाया, जो 10 किलो के केंचुए पहले 1 ट्राली गोबर खाद बनाने में 90 दिन का वक्त लेते थे वे अब रोज रात संगीत सुनकर यही काम 60 दिन में कर रहे है।

 

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ऐसे हि गाये भी ज्यादा दूध देने लगी है। गायो का रोज का दूध 4 लीटर से बढ़कर 5 लीटर हो गया ।

 

म्यूजिक से फसलों में हुई ग्रोथ

सागर के ये युवा किसान अपने खेत में हल्दी,अदरक, अरहर और टमाटर जैसी कई फसलें उगा रहे हैं। इन्होंने खेत में एक बड़ा म्यूजिक सिस्टम लगाया है, जो फसल बुवाई से लेकर कटाई तक फसलों को म्यूजिक सुनाता है।

 

आकाश के मुताबिक, उनके इस प्रयोग से फसलों की ग्रोथ अच्छी हो हुई है। फसलो में फल और फूल भी जल्दी व अच्छे हुए हैं। उन्होंने बताया कि म्यूजिक सुनाने से गायों के दूध की क्षमता बढ़ रही है। वे जब गाय का दूध निकालते हैं म्यूजिक चलाना नहीं भूलते।

 

म्यूजिक सिस्टम में इन म्यूजिको को लगाया गया 

बुआई से पहले खेतो में म्यूजिक सिस्टम लगाकर गायत्री मंत्र की ध्वनी प्रसारित की, इससे भुमिशोधन हुआ।

केंचुओ को रातभर क्लासिकल इंस्ट्रूमेंटल धुन सुनाई। नतीजा यह हुआ की 60 दिन में खाद बना दिया।

दूध दोहने से पहले गायो को नियमित 15 मिनट गायत्री मंत्र सुनाया तो एक लीटर ज्यादा दूध देने लगी।

 

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दूर-दूर से सीखने आते हैं लोग

आकाश जैविक खेती को लेकर अपने कृषि फार्म पर दूसरे राज्यों से आने वाले लोगों को प्रशिक्षण भी देते हैं। आगरा से ट्रेनिंग लेने आए राजीव कुमार ने बताया कि जैविक खेती के बारे में हमने यहां बहुत-कुछ सीखा। यहां आकर हमने देखा कि गाय को भी म्यूजिक सुनाकर पाला जा रहा है। दूध में भी काफी परिवर्तन देखने को मिल रहा है।
खाद में केंचुए के लिए भी म्यूजिक सुनाया जा रहा है और फसलों में फूल और फल भी अच्छे आ रहे हैं। वहीं  मुंबई के योगेश सिंह ने बताया कि मुझे इंटरनेट के माध्यम से आकाश के बारे में जानकारी मिली। हमने यहां बहुत कुछ सीखा। हमने देखा कि म्यूजिक का कैसे जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों पर असर होता है।
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