चने के नए बीज
कृषि विश्वविद्यालय के शोध केंद्रों पर नए बीज की वेराइटियां तैयार।
चने की कटाई के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरों की उपलब्धता न होने से किसान चने की फसल की अपेक्षा गेहूं, धान, सोयाबीन, सरसों का पैदावार कर रहे हैं।
राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय से संबद्ध शोध केंद्रों पर चने की नई वेराटियों के बीज तैयार किए गए हैं।
खास बात यह है कि इन बीजों से तैयार होने वाली फसल की ऊंचाई गेहूं के पौधे के बराबर होगी।
फायदा यह होगा कि चने की कटाई अब गेहूं या अन्य फसलों की तरह यंत्रों से की जा सकेगी। इससे मजदूरों पर निर्भरता नहीं रहेगी।
इस बीज से तैयार होने वाली फसल की पैदावार भी अधिक होगी, जिससे चना उगाना किसानों के लिए फायदे का सौदा होगा।
चने की कटाई के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरों की उपलब्धता न होने से किसान चने की फसल की अपेक्षा गेहूं, धान, सोयाबीन, सरसों का पैदावार कर रहे हैं।
किसानों की इसी परेशानी को ध्यान में रखते हुए कृषि वैज्ञानिकों ने चने की नई वेरायटी तैयार की है।
यह बीज हुआ तैयार
रानी लक्ष्मीबाई सेंट्रल एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, झांसी के कृषि विज्ञानी डा. एसके चतुर्वेदी का कहना है कि कानपुर, झांसी और राजमाता विजयराराजे सिंधिया कृषि महाविद्यालय के सीहोर केंद्र के साथ चने का बीज तैयार किया गया है।
इसमें सीहोर से आरवीजी 204, कानपुर सहित अन्य केंद्रों पर एनवीजी 47 और ऊषा 6062 का बीज तैयार किया गया है।
इन बीजों की खासियत यह है कि इसे नवंबर में बोया जाता है। 120 दिन में इसकी फसल तैयार हो जाती है।
इस फसल को गेहूं की तरह हार्वेस्टर से काटा जा सकेगा। इन वेरायटियों को किसानों के लिए जारी कर दिया गया है।
अधिक तापमान में नहीं होगी खराब
कृषि विज्ञानियों का कहना है कि अब जो भी बीज फसल के तैयार किए जा रहे है, उनमें खासियत यह है कि फसल 35 से 38 डिग्री तापमान पहुंचने पर भी खराब नहीं होगी।
दो पानी मिलने पर भी फसल का उत्पादन बेहतर होगा।
इसके अलावा चने में कीटनाशक दवा के छिड़काव की आवश्यकता नहीं रहेगी।
इन बीजों में रोगों से बचाव क्षमता मौजूद होगी।
फसल की कटाई करना आसान
इस बीज को बोने का समय नवंबर का महीने का उत्तम है। इस मौसम में बीज बोने पर यह 120 दिन में फसल तैयार हो जाती है।
खास बात यह है कि चने की फसल की लंबाई 75 से 80 सेमी होती है। जिससे फसल की कटाई करना आसान होता है।
इस फसल को गेहूं की तरह हार्वेस्टर से काटा जा सकेगा। जिससे कटाई के लिए मजदूरों की आवश्यकता नहीं रहेगी।
इससे किसानों को चने की फसल करने में परेशानी नहीं होगी।
चने का स्वाद बेहतर होगा और इसकी पैदावार पिछले बीज के मुकाबले तीस फीसद अधिक रहेगी। जिससे किसानों की आय देा गुना होगी।
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