किसानों को सरकार की तरफ से एक के बाद एक सुनहरा मौका मिलता जा रहा है.
मंडियों में मिली छूट और सुरक्षित मुनाफे के बाद अब सरकार ने पशुपालन से लेकर औषधि खेती में भी अलग-अलग धनराशि का प्रावधान कर दिया है.
दरअसल कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा अब केंद्र सरकार की 1 लाख करोड़ की एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर की योजना है.
कृषि के साथ सहायक व्यापारों के लिए भी केंद्र सरकार के पास अलग-अलग धन राशि प्रदान करने का प्रावधान है.
जिसमें –
- पशुपालन के लिए 10 हज़ार करोड़
- मछली पालन के लिए 20 हज़ार करोड़
- फूड प्रोसेसिंग के लिए 10 हज़ार करोड़
- औषधीय खेती के लिए 4 हजार करोड़
- मधुमक्खी पालन के लिए 500 करोड़ का प्रावधान है.
कुल मिलाकर किसानों के लिए 1.5 लाख करोड़ का सुनहरा मौका
केंद्र सरकार ने देश के सभी किसानों को हौसला बढ़ाते हुए कहा कि इस फण्ड का उपयोग पूरा देश करेगा, जिसके लिए वह लगातार सभी राज्यों से बात कर रहे हैं.
अभी तक लगभग 10 हज़ार करोड़ की परियोजना को मंजूरी दी जा चुकी है.
जिसमे 5 हज़ार करोड़ की योजनाओं को बैंकों से भी हरी झंडी मिल गयी है.
मौजूदा हालत और जरूरतों के हिसाब से योजनाओं में कुछ परिवर्तन किया गया हैं.
खाद्य तेल में 80 हजार करोड़ का इम्पोर्ट
मिली जानकारी के मुताबिक, भारत सरकार ने दलहन और तिलहन के क्षेत्र में काम करना शुरू कर दिया है.
भारत सरकार ने पाम ऑयल को लेकर भी बड़ा निर्णय लिया है.
इन सेक्टरों में काम कर रहे किसानों की समस्याओं को देखते हुए योजना बनाई गयी है.
1 हेक्टेयर में अगर सरसों लगाया जाता है और पाम ऑयल लगाया जाता है, तो इससे लाभ में 4 गुना का अंतर होगा.
खाद्य तेल की खपत को दखते हुए इसको फ्रेम किया गया है, कृषि मंत्री तोमर ने कहा इसमें हम 80 हज़ार करोड़ का इंपोर्ट करते हैं.
कुल खाद्य तेल की उपलब्धता में 56 % हिस्सा पाम ऑयल का होता है.
इसलिए बाकि तेलों की खेती बढ़े, लेकिन पाम ऑयल की खेती में कोई नुकसान और कमी न आए इस उद्देश्य से इसकी भी शुरुआत की गई है.
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