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वीडियो गेम की तरह चलाती हैं ड्रोन कैमरे का रिमोट

ड्रोन दीदी सुनीता सिंह बताती हैं कि इस काम में उनके पति धीरेंद्र सिंह और परिवार ने काफी साथ दिया. उनकी बेटी बीए कर रही है और बेटा 12वीं में है जिसे पढ़ा-लिखा कर वे काफी आगे बढ़ाना चाह रही हैं.

 

हरदोई की सुनीता सिंह की कहानी

ड्रोन दीदी योजना ने देश में ग्रामीण महिलाओं की जिंदगी बदल कर रख दी है. उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले की ग्रामीण महिला सुनीता सिंह से मिलिए. सुनीता हरदोई (Hardoi News) के मल्लावां ब्लॉक के गुसवा गांव में रहने वाली हैं.

सुनीत ने बताया कि प्रयागराज के फूलपुर ‘IFFCO’ कंपनी में ड्रोन की 15 दिन की ट्रेनिंग हुई थी. वह बताती हैं, पहले हमें थ्योरी पढ़ाई गई, उसके बाद पेपर हुआ था.

उसके बाद कम्प्यूटर पर टेस्ट, जिसके बाद हम ड्रोन उड़ाना शुरू किए. उन्होंने बताया कि जब हमने पहली बार ड्रोन उड़ाया तो बहुत अच्छा लगा.

थोड़ा तो अंदर से डर था. जो फिर धीरे-धीरे अब खत्म हो गया है. सुनीता ने बताया कि अब वीडियो गेम के रिमोट की तरह Drone चलाती हैं और थोड़ा भी डर नहीं लगता है.

 

300 से 500 रुपये प्रति एकड़ रेट से छिड़काव

गुसवा गांव की निवासी सुनीता सिंह ने आगे बताया, ’23 मार्च 2024 हमको ड्रोन मिला था, दिल्ली से इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट की टीम हरदोई आई थी. टीम ने बाक्स को खोला और पहली बार अपने गांव में 28 अप्रैल 2024 चलाने का मौका मिला था’.

उन्होंने बताया कि वह अब तक क्षेत्र के 15 बीघे खेत में तरल यूरिया का छिड़काव कर चुकी हैं. 

रिवार के लिए कमाई का जरिया बनने के साथ-साथ सुनीता ने अपनी एक अलग पहचान बनाई है जिससे 4-5 हजार रुपये की आय हो चुकी है.

सुनीता ने बताया, ‘एक दो दिन छोड़कर मुझे किसान अपने खेतों में छिड़काव के लिए बुलाते हैं, उससे उम्मीद है कि आने वाले समय में मेरी आय तीन गुना हो जाएगी. इस Drone से खेतों में कीटनाशक, नैनो डीएपी आदि का छिड़काव होता है’.

उन्होंने बताया कि 300 रुपये प्रति एकड़ गेहूं-धान और 500 रुपये प्रति एकड़ गन्ना का रेट है. इस आधार खेतों में जाकर वह खुद छिड़काव करती हैं.

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सुनीता के पति ने की मदद

32 साल की सुनीता बताती हैं कि इस काम में उनके पति धीरेंद्र सिंह और परिवार ने काफी साथ दिया. उनकी बेटी बीए कर रही है और बेटा 12वीं में है जिसे पढ़ा-लिखा कर वो काफी आगे बढ़ाना चाह रही हैं.

बता दें कि हमेशा से घर के काम में लगी रहने वाली सुनीता सिंह के लिए ये काम इतना आसान नहीं था. 

लेकिन अपनी मेहनत और इच्छा शक्ति के दम पर आज ड्रोन दीदी बनी हैं. इनकी पहचान हरदोई जिले में आज सफल ड्रोन दीदी के रूप में हो रही है.

 

क्या है नमो ड्रोन दीदी योजना?

नमो ड्रोन दीदी योजना के तहत महिलाओं को ड्रोन उड़ाने, डेटा विश्लेषण और ड्रोन के रखरखाव से संबंधित ट्रेनिंग दी जाती है.

इसमें महिलाओं को ड्रोन का इस्तेमाल करके अलग-अलग कृषि कार्यों के लिए प्रशिक्षित किया जाता है.

जैसे Drone के जरिए फसलों की निगरानी, कीटनाशकों और उर्वरकों का छिड़काव और बीज बुवाई आदि की ट्रेनिंग दी जाती है.

 

कैसे होता है नमो ड्रोन दीदी का चयन

केंद्र सरकार द्वारा साल 2023 में प्रधानमंत्री ड्रोन दीदी योजना की शुरुआत की गई थी. इस योजना का उद्देश्य खेती में नई तकनीक का इस्तेमाल करते हुए ड्रोन से उर्वरकों कीटनाशकों का छिड़काव करना सिखाया जाता है. 

ड्रोन दीदी योजना के तहत देश में स्वयं सहायता समूह की सदस्य महिलाओं में से 15000 से अधिक महिलाओं को Drone दीदी बनाने का लक्ष्य रखा गया है.

बता दें, ड्रोन दीदी योजना का लाभ लेने के लिए महिलाओं को स्वयं सहायता समूह का सक्रिय सदस्य होना जरूरी है.

इसी के साथ, महिला का भारतीय नागरिक होना भी जरूरी है. वहीं, इस योजना का लाभ लेने के लिए महिला की उम्र 18 से 37 साल के बीच होनी चाहिए. 

ड्रोन दीदी के रूप में जो महिला काम करेगी उन्हें 15,000 रुपये की सैलरी मिलती है.

 

कैसे ले सकते हैं योजना का लाभ

सरकार द्वारा फिलहाल प्रधानमंत्री ड्रोन दीदी योजना के लिए कोई भी आधिकारिक वेबसाइट लॉन्‍च नहीं की गई है.

सरकार द्वारा गठित जिला स्तरीय समिति प्रधानमंत्री ड्रोन दीदी योजना के तहत स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं का चयन कर रही है.

इस योजना का लाभ लेने के लिए महिलाओं के पास स्वयं सहायता ग्रुप समूह का कार्ड होना जरूरी है.

इसके साथ ही आधार कार्ड और साथ में ही एक्टिव बैंक अकाउंट और फोन नंबर का होना जरूरी है.

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