सिर्फ 30 दिन का वक्त है बाकी
पीएम फसल बीमा योजना को इस साल स्वैच्छिक कर दिया गया है, लेकिन किसान क्रेडिट कार्ड धारकों को इस बात का रखना होगा खास ख्याल, अन्यथा होगा नुकसान.
खरीफ सीजन सीजन की फसलों खासतौर पर धान, मक्का, बाजरा, कपास आदि का फसल बीमा करवाने की अंतिम तारीख 31 जुलाई तय की गई है.
यानी इसके लिए अब आपके पास सिर्फ 30 दिन का वक्त बाकी है.
यह ध्यान रखें कि अंतिम तारीख में भले ही अभी एक महीना बाकी है, लेकिन आपको फसल बुवाई के 10 दिन के अंदर ही स्कीम में शामिल होना होगा.
ऐसे में अगर आप बुवाई या धान की रोपाई कर रहे हैं तो बीमा के लिए इस बात का खास ख्याल रखें.
खास बात यह है कि पीएम फसल बीमा योजना को अब सरकार ने स्वैच्छिक कर दिया है. आप चाहेंगे तभी इसका लाभ दिया जाएगा. जबकि पहले ऐसा नहीं होता था.
खासतौर पर किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) लेने वालों को इसमें जबरन शामिल करके उनके लोन की रकम में से प्रीमियम काट लिया जाता था.
ऐसे में आपको बैंक को 24 जुलाई तक यह बताना होगा कि फसल बीमा नहीं चाहिए. इसके लिए बैंक आपसे लिखित लेगा.
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वरना कर दिया जाएगा फसल बीमा
अगर किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) के तहत खेती के लिए कर्ज लेने वाला किसान (Farmer) योजना से बाहर होने के लिए तय सीमा तक संबंधित बैंक (Bank) में आवेदन नहीं करता है तो बैंक किसान की फसलों का बीमा करने के लिए अधिकृत या बाध्य होंगे.
जिन किसानों पर कोई सरकारी कर्ज नहीं है वो ग्राहक सेवा केंद्र या बीमा (Crop Insurance) कंपनी के प्रतिनिधि से अपनी फसल का बीमा करवा सकते हैं.
दो दिन पहले तक बदल सकते हैं फसल
यदि आप पहले से नियोजित फसल को बदलना चाहते हैं तो यह भी संभव है.
किसान को अंतिम तारीख से कम से कम दो दिन पहले यानी 29 जुलाई तक फसल बदलाव के लिए बैंक में सूचित करना होगा.
इस योजना को सुचारू रूप से चलाने के लिए जिला स्तर पर परियोजना अधिकारी व सर्वेयर नियुक्त किए गए हैं.
बीमा कंपनियों ने किसानों की सहायता के लिए जिला व ब्लॉक स्तर पर अपने कर्मचारी नियुक्त किए हैं.
स्कीम में किसानों की शिकायतों के निपटान के लिए राज्य व जिला स्तर पर शिकायत निवारण समितियों का गठन किया गया है.
किसानों को कितना मिला क्लेम
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक राष्ट्रीय स्तर पर योजना की शुरूआत (13 जनवरी 2016) से दिसंबर-2020 तक किसानों ने लगभग 19 हजार करोड़ रुपये का प्रीमियम भरा.
जिसके बदले उन्हें लगभग 90 हजार करोड़ रुपये का भुगतान क्लेम के रूप में मिला.
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