कर सकते हैं सफल खेती
अनार के पौधों को लगाने का सही समय अगस्त से सितंबर या फरवरी से मार्च के बीच होता है.
पौधा लगाते समय 5-5 मीटर या 5 से 6 मीटर की दूरी रखनी चाहिए.
अगर किसान सघन बागवानी अपना रहे हैं तो बाग लगाते समय 5 से 3 मीटर की दूरी ठीक रहती है.
सघन बागवानी से पैदावार डेढ़ गुना तक बढ़ जाती है.
अनार एक ऐसा फल है, जिसे हर मौसम में खाया जाता है.
इसमें फाइबर, विटामिन के, सी और बी, आयरन, पोटैशियम, जिंक और ओमेगा-6 फैटी एसिड जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं.
ये हमारे शरीर के लिए बेहद जरूरी हैं. इन्हीं वजहों से अनार की मांग साल भर बनी रहती है.
किसान अनार की खेती कर के अच्छा-खासा मुनाफा कमा सकते हैं.
भारत में अनार की खेती अधिकतर उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और गुजरात में होती है.
अनार का पौधा तीन से चार साल में पेड़ बन जाता है और फल देना शुरू कर देता है.
अनार के एक पेड़ से लगभग 25 सालों तक फल मिलते रहते हैं.
अगस्त-सितंबर और फरवरी मार्च में लगा सकते हैं पौधे
अनार उपोष्ण जलवायु का पौधा है. इसके फल के विकास होने व पकने के लिए गर्म और शुष्क जलवायु की जरूरत होती है.
इसकी खेती लगभग हर तरह के मिट्टी में की जा सकती है. जल निकास वाली और रेतीली दोमट मिट्टी अनार की खेती के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है.
अनार की बेहतर पैदावार के लिए किसानों को चाहिए कि वो उन्नत किस्मों का चयन करें.
जैसे गणेश, ज्योति, मृदुला, भगवा, अरक्ता और कांधारी अनार की कुछ प्रमुख और उन्नत किस्में हैं.
अनार के बाग तैयार करने के लिए किसान कलम लगाकर या पौधा रोपण कर सकते हैं.
अनार के पौधों को लगाने का सही समय अगस्त से सितंबर या फरवरी से मार्च के बीच होता है.
पौधा लगाते समय 5-5 मीटर या 5 से 6 मीटर की दूरी रखनी चाहिए.
अगर किसान सघन बागवानी अपना रहे हैं तो बाग लगाते समय 5 से 3 मीटर की दूरी ठीक रहती है.
सघन बागवानी से पैदावार डेढ़ गुना तक बढ़ जाती है.
मई से शुरू कर देनी चाहिए अनार की सिंचाई
बाग तैयार करने के लिए और रोपण के लिए गड्ढे एक माह पहले 60-60 सेंटी मीटर लंबाई, चौड़ाई और गहराई के खोद लेने चाहिए.
गड्ढे की ऊपरी मिट्टी में 20 किलो सड़ी गोबर की खाद, 1 किलो सिंगल सुपर फॉस्फेट और 50 ग्राम क्लोरोपायरीफॉस का मिश्रण डालें और इसके बाद ही तैयार पौधों की रोपाई करें.
अनार के बाग की सिंचाई की बात करें तो मई माह से सिंचाई शुरू कर देनी चाहिए.
साथ ही किसान मॉनसून आने तक जारी रख सकते हैं. वहीं बारिश के मौसम के बाद 10 से 12 दिन के अंतराल पर सिंचाई की जा सकती है.
हालांकि अनार के लिए ड्रिप सिंचाई सबसे अच्छी होती है.
जिन इलाकों में पानी की कमी है, वहां के लिए यह तकनीक सबसे बेहतर साबित हो सकती है क्योंकि इससे 45 फीसदी पानी की बचत हो जाती है जबकि उत्पादन में 30 से 35 प्रतिशत की बढ़त हो जाती है.
पौधे को सही आकार देने के लिए समय-समय पर छंटाई करते रहें.
अगर फलों की तुड़ाई की बात करें तो फल तभी तोड़ना चाहिए, जब फल पूरे तरीके से पक जाएं. लगभग 120 से 130 दिनों बाद फल तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं.
आप उपरोक्त बातों का ध्यान रखकर अनार की भरपूर पैदावार लेकर सफल खेती कर सकते हैं और आपकी कमाई में इजाफा हो सकता है.
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