जानिए खासियत
प्रधानमंत्री मोदी ने 11 अगस्त के दिन उच्च उपज देने वाली विभिन्न फसलों की 109 किस्में जारी की।
इन फसलों के बीज जलवायु के अनुकूल हैं और प्रतिकूल मौसम में भी अच्छी फसल देने के साथ ही पोषक तत्वों से भरपूर हैं।
इन फसलों में गेहूं की दो किस्में पूसा गेहूं शरबती (HI 1665) एवं ड्यूरम गेहूं की पूसा गौरव (HI 8840) शामिल हैं।
गेहूं की यह दोनों किस्में पोषक तत्वों से भरपूर होने के साथ ही उच्च उत्पादन क्षमता रखती है।
आइये जानते हैं इन किस्मों की खासियत :-
पूसा गेहूं शरबती (HI 1665)
गेहूं की इस किस्म का विकास आईसीएआर-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान क्षेत्रीय स्टेशन, इंदौर, मध्य प्रदेश द्वारा किया गया है।
गेहूं की यह किस्म महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु के समतल इलाके के लिये अनुशंसित की गई है। यह किस्म समय पर बुआई के लिए उपयुक्त है।
सिंचित स्थिति सीमित में इस किस्म से औसतन 33 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से उत्पादन प्राप्त किया जा सकता हैं। गेहूं की यह किस्म 110 दिनों में पककर तैयार हो जाती है।
यह किस्म सूखे के प्रति सहनशील (गर्मी सहनशीलता सूचकांक 0.98 और सूखा संवेदनशीलता सूचकांक 0.91), उत्कृष्ट अनाज गुणवत्ता, उच्च अनाज जस्ता सामग्री (40) के साथ ही यह किस्म जैव फोर्टिफाइड है। वहीं यह किस्म पत्ती और तने के जंग के प्रति प्रतिरोधी है।
पूसा गेहूं गौरव (HI 8840)
गेहूं की इस किस्म का विकास आईसीएआर- भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान क्षेत्रीय स्टेशन, इंदौर-मध्य प्रदेश द्वारा किया गया है।
गेहूं की यह किस्म महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु के समतल इलाके के लिये अनुशंसित की गई है। गेहूं की यह किस्म सिंचित परिस्थितियों के लिए उपयुक्त है।
इस किस्म की औसत उपज क्षमता 30.2 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। गेहूं की यह किस्म टर्मिनल गर्मी सहनशील है।
यदि पोषक तत्वों की बात की जाए तो गेहूं की इस किस्म में उच्च जस्ता (41.1 PPM) और प्रोटीन सामग्री (12%) के साथ बायो-फोर्टिफाइड है। गेहूं की यह किस्म तने और पत्ती के जंग के प्रति प्रतिरोधी है।
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