म.प्र. में शाजापुर जिले के खरदोनकला के श्री जयनारायण पाटीदार ने इस रबी में गेहूँ की नई किस्म यशस्वी पूसा एचडी-3226 लगाई है। इसका ब्रीडर सीड आप हरियाणा से लाए थे। चार पानी की इस किस्म की बालियां लम्बी हैं और फुटाव भी अच्छा है।
देश में विकसित अब तक के सबसे अधिक प्रोटीन युक्त गेहूं की नई किस्म एचडी 3226 (पूसा यशस्वी) की प्रति हेक्टेयर औसत पैदावार 57.5 क्विं. है। यह किस्म करनाल बंट, भभूतिया, पीला रतुआ रोगरोधी है।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के अनुवांशिक विभाग के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. राजबीर यादव के मुताबिक गेहूं की नई किस्म एचडी-3226 के बीज तैयार करने के लिए हाल ही में 35 से 40 प्राइवेट बीज कंपनियों से एमओयू किया गया है। अत: अगले साल से इसके बीज किसानों को भरपूर मात्रा में मिलेंगे।
प्रोटीन की मात्रा सबसे ज्यादा 12.8 फीसदी
इस किस्म की सबसे खास बात यह है कि इसमें प्रोटीन की मात्रा अन्य किस्मों की तुलना में 0.50 फीसदी ज्यादा है। इसमें 12.8 फीसदी प्रोटीन है जबकि गेहूं की दूसरी किस्मों में अधिकतम 12.3 फीसदी प्रोटीन होता है। इस किस्म में ग्लूटेन की मात्रा भी ज्यादा है।
नई किस्म पीला रतुआ, भूरा रतुआ और करनाल बंट रोगरोधी
डॉ. यादव के मुताबिक गेहूं की नई किस्म पीला रतुआ, भूरा रतुआ और करनाल बंट रोग रोधी है। इन बीमारियों से हर साल किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। उन्होंने बताया कि एचडी-3226 किस्म की बुआई का उपयुक्त समय अक्टूबर अंत या फिर नवंबर का प्रथम पखवाड़ा है। भरपूर पैदावार लेने के लिए 20 नवंबर से पहले किसानों को इस किस्म की बुआई करनी होगी। इसकी औसतन पैदावार 57.5 क्विं. प्रति हेक्टेयर है, लेकिन परीक्षण के समय इसका अधिकतम उत्पादन 70 क्विं. प्रति हेक्टेयर तक हुआ है। इसकी फसल 142 दिन में तैयार हो जाती है। यह किस्म पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड के तराई क्षेत्र तथा जम्मू-कश्मीर एवं हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों के लिए उपयुक्त है। जीरो टिलेज पद्धति से बुआई के लिए भी यह किस्म उपयुक्त है।