सेंट्रल पूल ने लेने से किया था इनकार
राज्य सरकार ने साल 2019-20 में समर्थन मूल्य पर 25.54 लाख टन धान का उपार्जन एमएसपी पर किया था.
इसमें 20 लाख 47 हजार टन धान की मिलिंग हुई थी. इस चावल को एफसीआई सेंट्रल पूल के लिए दिया गया था.
मध्य प्रदेश सरकार गेहूं के बाद अब धान की नीलामी करने की तैयारी कर रही है.
2017-18 और उसके बाद 2019-20 के पौने चार लाख टन से से ज्यादा का धान नीलाम किया जाएगा.
दरअसल सेंट्रल पूल ने इसे लेने से इनकार कर दिया है. लिहाजा इसकी नीलामी की जाएगी.
सरकार इसे 1400 से 1800 रुपए प्रति क्विंटल के भाव से बेच सकती है.
20 लाख 47 हजार टन धान की मिलिंग हुई
राज्य सरकार ने साल 2019-20 में समर्थन मूल्य पर 25.54 लाख टन धान का उपार्जन एमएसपी पर किया था.
इसमें 20 लाख 47 हजार टन धान की मिलिंग हुई थी. इस चावल को एफसीआई सेंट्रल पूल के लिए दिया गया था.
3.82 लाख टन धान की मीलिंग नहीं हो पाई. यह धान अभी भी गोदामों में रखी हुई है.
राज्य सरकार को होगा करोड़ों का नुकसान
राज्य सरकार को इस नीलामी के बाद करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान होगा, लेकिन इसके अलावा सरकार के पास कोई विकल्प नहीं है.
मामले में कृषि मंत्री कमल पटेल का कहना है कि गोदामों में रखी धान बेचना बहुत जरूरी है, यह धान खराब भी होने लगी है.
बेचना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि काफी ज्यादा ब्याज रोजाना देना पड़ता है.
14-15 करोड़ रुपए रोज ब्याज देने से नुकसान हो रहा है.
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