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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पर संसदीय समिति का सुझाव

 

किसानों को फायदा पहुंचाने के लिए ये कदम उठाने होंगे

 

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लागू हुए करीब 5 वर्ष हो चुके हैं. इसे वर्ष 2016 के खरीफ सत्र से लागू किया गया है.

सार्वजनिक क्षेत्र की पांच और निजी क्षेत्र की 13 कंपनियां इस योजना को चला रही हैं.

 

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) किसानों के लिए बहुत ही राहत देने वाली योजना है, जिसके तहत किसानों की फसल आपदा में बर्बाद होने पर उन्हें मुआवजा दिया जाता है.

यह योजना किसानों के लिए कितनी फायदेमंद साबित हो रही है और सिस्टम की ओर से इसके इम्प्लिमेंटेशन में कहां कमियां हैं, इसको लेकर संसदीय समिति ने इसकी रिपोर्ट प्रस्तुत किया है.

 

संसदीय समिति ने फसल बीमा योजना के तहत किसानों द्वारा किए गए दावों के निपटान में देरी को लेकर सरकार की खिंचाई करते हुए इसे अधिक तकनीक आधारित और किसानों के अनुकूल बनाने का सुझाव दिया है.

पीसी गद्दीगौदर की अध्यक्षता वाली कृषि संबंधी संसदीय स्थाई समिति ने पीएमएफबीवाई पर लोकसभा में पेश अपनी 29वीं रिपोर्ट में इस बारे में सुझाव दिया है.

 

बीमा कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसान आपदा की वजह से बर्बाद हुए अपने फसल के मुआवजे के लिए बीमा कंपनियों के पास क्लेम करते हैं.

लेकिन ऐसे ढेरों मामले हैं, जिनमें बीमा कंपनियां निर्धारित समय सीमा के अंदर दावा राशि का भुगतान नहीं करती हैं.

इसके लिए निर्धारित समय सीमा 30 दिन है.

ऐसे में संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में केंद्रीय कृषि मंत्रालय को तय समय सीमा के भीतर दावों का निपटान नहीं करने वाली बीमा कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने का सुझाव दिया है.

 

राज्य सरकारों के प्रति भी एक्शन लेने का सुझाव

समिति ने इसके अलावा सरकार से पंजाब, बिहार, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, गुजरात, तेलंगाना और झारखंड द्वारा योजना को वापस लेने या लागू नहीं करने के कारणों पर उचित तरीके से ध्यान देने और उपयुक्त कदम उठाने के लिए कहा.

 

रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘समिति का मानना ​​है कि दावों के निपटारे में देरी किसी भी तरह से स्वीकार्य नहीं है.

इसलिए हम कृषि मंत्रालय से इस योजना को ज्यादा से ज्यादा तकनीक आधारित बनाने की सिफारिश करते हैं.’’

 

बीमा कंपनियों पर 22.17 करोड़ रुपये का जुर्माना लंबित

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लागू हुए करीब 5 वर्ष हो चुके हैं.

इसे वर्ष 2016 के खरीफ सत्र से लागू किया गया है. सार्वजनिक क्षेत्र की पांच और निजी क्षेत्र की 13 कंपनियां इस योजना को चला रही हैं.

समिति ने सरकार से कहा है कि उसे इस बात को सुनिश्चित करना चाहिए कि सारी प्रक्रिया सरलता के साथ आगे बढ़े और किसानों को इसमें किसी तरह की परेशानी नहीं हो.

 

बीमा कंपनियों पर जुर्माने के मामले में समिति ने कहा, “सरकार ने उसे सूचित किया है कि उसने कुछ बीमा कंपनियों पर जुर्माना लगाया है.

दावों के निपटान में असफल रहने वाली कंपनियों से 2017- 18 के रबी मौसम तक की फसल तक 22.17 करोड़ रुपये का जुर्माना देने को कहा गया है.”

 

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