मप्र के देवास जिले के किसान अब बड़े पैमाने पर ताइवान पिंक अमरूद की खेती की ओर अग्रसर हो रहे हैं।
देवास जिले में अब किसानों को पिंक अमरूद भाया हैं। जिले के किसान बड़े पैमाने पर ताइवान पिंक अमरूद की खेती से जुड़ने लगे हैं।
इस किस्स में दूसरे साल से ही किसानों की ज्यादा आमदनी शुरू हो जाती है। जो हर साल करीब 10 प्रतिशत बढ़ती है।
अमरूद की अन्य किस्मों की तुलना में इस किस्म में जल्द फल लगने लगते हैं।
देवास के साथ ही पहली बार बागली क्षेत्र में करीब 50 से 60 किसान ताइवान पिंक अमरूद की खेती कर रहे हैं।
खेती को लेकर किसानों को उद्यानिक विभाग की तरफ से योजना तहत लाभ भी मिलता है।
वहीं आर्थिक रूप से मजबूत किसान अपने खर्चे पर इस खेती को अपना रहे हैं। बागली के तिस्सी गांव के किसान कमल मुकाती ने बताया कि नई किस्म ताइवान पिंक लगाई है जो एक साल बाद ही फल देने लगते हैं।
हमें उद्यानिक विभाग से इस नई किस्म की जानकारी मिली। पौधे मंदसौर जिले के सुवासरा से लेकर आए हैं।
पिछले साल दिसंबर में पौधे लाकर लगाए गए थे। जो 60 प्रति नग के हिसाब से मिले थे।
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एक बीघा में करीब 550 पौधे लगाए हैं। वहीं 11 हजार रुपये ड्रीप का खर्चा आया है। पौधों को पानी व खाद दिया जा रहा है।
पौधे 6 बाय 10 फीट की दूरी पर लगाए हैं। वहीं गांव के किसान अमरसिंह पाटीदार ने 700 पौधे, भोलाराम सेंधव ने 700 और विष्णु मुकाती ने 350 पौधे लगाए है।
किसानों ने बताया कि शुरुआत में जो खर्च आया है योजना के तहत मिल रहा है।
ये है खर्च का समीकरण
ताइवान पिंक की खेती के लिए एक एकड़ की बात करें तो करीब 25 से 30 हजार रुपये का खर्चा आता है। जिसमें एक पौधा किसान को करीब 40 से 80 रुपए का पड़ता है।
एक एकड़ में 250 पौधे लगाए जाते हैं। इस हिसाब से करीब 10 से 12 हजार के पौधे लगते हैं। गोबार का खाद तीन से चार हजार एक ट्राली की रेट के हिसाब से मिलता है।
दो से तीन रुपए प्रति प्लांट लगाने के लगते हैं। इसके अलावा गड्डे खोदाई सहित अन्य खर्चा मिला दिया जाए तो एक एकड़ में पहले साल 25 से 30 हजार का खर्चा होता है।
ऐसे समझिए, कैसे आपको पिंक अमरूद मजबूत बनाएगा
आमदानी की बात करें तो पहले साल ज्यादा कुछ नहीं करना होता है। दूसरे साल पौधे की हाइट के अनुसार फल निर्भर करेगा।
अगर तीन फीट का पौधा तैयार होता है। जिससे प्रति प्लांट 10 से 15 किलो ग्राम फल लिया जा सकता है। औसत रूप से 12 किलो माना जा सकता है।
ताइवन पिंक का रेट 50 रुपए प्रति किलो से शुरू होता है जो 70 से 80 रुपए किलो तक बिकता है।
अगर सही देखभाल रखरखाव करें तो यह 80 रुपए तक बिकता है। एक एकड़ में 2 हजार 776 किलो ग्राम फल बनेंगे।
सामान्य रेट भी माने तो 50 के हिसाब से 1 लाख 38 हजार रुपए की आमदनी होगी। यानी 70 हजार से 80 हजार की बचत होती है।
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आगे भी बढ़ती जाती है आमदनी
बागली क्षेत्र के उद्यानिकी अधिकारी राकेश सोलंकी ने बताया कि ताइवान पिंक अमरूद में हर साल 10 से 20 बीस प्रतिशत आमदानी बढ़ती है।
इस प्रकार की खेती में समय और देखभाल की दोनों की बचत होती है। अन्य किस्मों में तीन साल बाद फल आता है।
सोलंकी ने बताया कि बागली क्षेत्र में करीब 50 से 60 किसान जुड़े हैं। किसानों को योजना के तहत लाभ भी दिया जा रहा है।
वहीं जो योजना पात्र नहीं हैं वे अपने खर्चे से खेती कर रहे हैं।
इनका कहना है
इस साल जिले में ताइवान पिंक अमरूद की खेती से बड़े पैमाने पर किसान जुड़े हैं।
बागली देवास सहित अन्य क्षेत्रों में करीब 125 से ज्यादा किसानों ने यह अमरूद लगाया हैं। इसमें समय की भी बचता है।
आमदानी अन्य किस्मों से अच्छी है।
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