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जिस कृषि भूमि पर मवेशी चरते थे वहां लहलहा रही सब्जियां

 

लॉकडाउन में युवाओं को आत्म निर्भर बनने की और प्रेरणा भी मिल रही है |

 

भारत के अधिकतर युवाओं का ध्यान आधुनिक कृषि पर जा रहा है | जिनके पास थोड़ी बहुत कृषि भूमि है |

वहां यूट्यूब की मदद से एवं इंटरनेट की मदद से जानकारी लेकर कम कृषि भूमि में अधिक उत्पादन करने के लिए प्रयासरत हो गए हैं और सफलता भी मिल रही है |

ऐसे ही युवा कृषक अजय उपाध्याय और हर्ष उपाध्याय गेहूं चना फसल कटाई के बाद खाली पड़े खेत में अन्य नर्सरी से लाए गए टमाटर बैंगन मिर्ची के पौधों को लगाकर सब्जी उत्पादन ले रहे हैं |

 

 

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सिंचाई के लिए खुदवाया कुआ

अजय उपाध्याय ने बताया कि इस भूमि पर गेहूं चना फसल कटने के बाद दिनभर मवेशी चरते थे कारण यह कि नहर से सिंचाई की जाती थी, जो गर्मी में असिंचित हो जाती थी |

लेकिन अब वहा कुआ खुदवाया है | जिससे पानी की व्यवस्था हो गई है और सिंचाई भी हो रही है यह व्यवस्था करके आधुनिक खेती का प्रयोग किया जो सफल रहा विगत मार्च माह में बैंगन टमाटर मिर्च एवं लौकी फसल लगाई जिसका उत्पादन शुरू हो चुका है |

 

प्रतिदिन सब मिलकर 30 से 40 किलो सब्जी उत्पादन हो रही है | 500 ₹600 की प्रतिदिन अतिरिक्त आए मनोबल बढ़ा रही है |

 

जैविक सब्जी 

पूर्णता जैविक पद्धति से पकाई सब्जियों के ग्राहक भी हाथों-हाथ मिल जाते हैं | उसी प्रकार बेहरी के उपसरपचं हिरालाल गोस्वामी द्वारा भी इस वर्ष सूखी जमीन में निकट के कृषक से पानी की व्यवस्था करके प्याज फसल लगाई और 200 कट्टे प्याज उत्पादन किया यह भी लॉकडाउन के चलते अतिरिक्त कमाई का साधन बनी है |

ऐसी ही कहानी उन बेरोजगार लोगों की है जो कामकाज की तलाश में शहरों की ओर गए थे लॉकडाउन के चलते पुनः गांव लौटे और थोड़ी बहुत पैतृक खेती है उसे करने लगे जिससे लाभ अर्जित हो रहा है |

-सुनिल योगी

 

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