देखभाल और पाला से बचाव
सर्दी में पाला पड़ने के कारण फसल के नुकसान की आशंका बनी रहती है, लेकिन कुछ तरीकों को अपना कर आप खेतों में लगी रबी फसलों को पाले से काफी हद तक बचा सकते हैं.
जब आसमान साफ हो, हवा न चल रही और तापमान कम हो जाए तब पाला पड़ने की आशंका बढ़ जाती है.
रबी फसलों की देखरेख के लिहाज से यह समय काफी अहम होता है. इस समय फसल बढ़वार की अवस्था में होती है.
नाइट्रोजन के कोटे से बचे खाद का किसान इस समय छिड़काव करते हैं.
बुवाई के समय जिंक और लोहा नहीं डाला हो तो पत्ती पर कमी के लक्षण खड़ी फसल में दिख रहे हों तो 1 किलो ग्राम जिंक सल्फेट और 500 ग्राम बुझा हुआ चूना 200 लीटर पानी में घोलकर 2 से 3 छिड़काव 15 दिनों के अंतराल पर करना चाहिए.
मैगनीज की कमी
इसी तरह मैगनीज की कमी वाली मिट्टी में 1 किलो ग्राम मैगनीज सल्फेट को 200 लीटर पानी में घोलकर पहली सिंचाई के 2 से 3 दिनों पहले और आयरन सल्फेट की 0.5 प्रतिशत के घोल का छिड़काव करें.
इसके बाद जरूरत के हिसाब से एक सप्ताह के अंतराल पर दो से तीन छिड़काव करने की जरूरत होती है.
छिड़काव मौसम साफ रहने और खुले मौसम में ही करें.
रोग का खतरा कम लेकिन खेत पर रखें नजर
गेहूं की फसल में पूरी अवधि में करीब 35 से 40 सेंटी मीटर पानी की जरूरत होती है.
इसके छत्रक जड़ें निकलने और बालियों के निकलने की अवस्था में सिंचाई जरूर करनी चाहिए.
ऐसा नहीं करने से फसल पर इसका विपरीत असर पड़ सकता है और उत्पादन में कमी आ सकती है. भारी मिट्टी में 4 और हल्की मिट्टी में 6 सिंचाई पर्याप्त होती है.
कम तापमान रहने के कारण रोगों का खतरा तो कम रहता है लेकिन फफूंद जनित रोग के लक्षण दिखने पर कृषि विशेषज्ञों की सलाह से दवाओं का इस्तेमाल कर सकते हैं.
चूहों से बचाने के लिए जिंक फॉस्फाइड या एल्युमिनियम फॉस्फाइड की टिकिया से बने चारे का इस्तेमाल कर सकते हैं.
पाला से रबी फसलों का बचाव
सर्दी में पाला पड़ने के कारण फसल के नुकसान की आशंका बनी रहती है, लेकिन कुछ तरीकों को अपना कर आप खेतों में लगी रबी फसलों को पाले से काफी हद तक बचा सकते हैं.
जब आसमान साफ हो, हवा न चल रही और तापमान कम हो जाए तब पाला पड़ने की आशंका बढ़ जाती है.
बारानी फसल में जब पाला पड़ने की आशंका हो तो पाले वाले दिन पसल पर व्यावसायिक गंधक के तेजाब का 0.1 प्रतिशत का छिड़काव करें.
इससे पाले से होने वाले फसल के नुकसान को बचाया जा सकता है.
अगर आपने नर्सरी तैयार कर रखी है तो उसे रात में चादर से ढक दें.
पुआल का इस्तेमाल भी पौधों को ढकने के लिए कर सकते हैं.
पाला पड़ने पर किसानों को हल्की सिंचाई करने की भी सलाह दी जाती है.
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