रोग की रोकथाम
प्रमुख कीट
फल छेदक – टमाटर का सबसे बड़ा शत्रु है। पत्तों और फूलों को खाने के बाद यह फल को छेदकर अंदर से खाना शुरू कर देता है।
जैसिड – यह हरे रंग के छोटे-छोटे कीट होते हैं, जो पौधों से रस चूस लेते हैं, जिसके कारण पौधों की पत्तियाँ सूख जाती हैं।
सफेद मक्खी – ये सफेद छोटे-छोटे कीड़े होते हैं जो पौधों से उनका रस चूस लेते हैं।
इनसे पत्तियों के मुड़ जाने वाली बीमारी (मोजेक) फैलती है।
रोकथाम के लिए फसल बढ़वार की आरंभिक अवस्था में 0.05 प्रतिशत रोगी या मेटासिस्टॉक्स का छिडक़ाव करें।
फल छेदक से प्रभावित फलों और ऐसे कीड़े के अण्डों को इक_ा करके नष्ट कर दें फिर छिडक़ाव करें।
एक पखवाड़े के अंतराल पर यह छिडक़ाव दोबारा करें।
प्रमुख रोग
आद्र्र गलन (डेम्पिंग ऑफ)
यह पौधशाला की सबसे प्रमुख बीमारी है, जो संक्रमित बीज और मिट्टी से पनपता है, जिससे जमीन की सतह पर तना भूरा काला होकर गिर जाता है।
अधिक रोग के कारण कभी-कभी पूरी पौध भी नष्ट हो जाती है।
रोकथाम के लिए बीज जमाव के पश्चात 2 ग्राम कैप्टान रसायन 1 लीटर पानी में घोलकर फव्वारे से डैचिंग करें।
हमेशा उपचारित बीज ही प्रयोग करें और नयी भूमि में पौध तैयार करें।
अगेती झुलसा
पत्तों और फलों में गहरे भूरे रंग के धब्बे आते हैं। रोकथाम के लिए 10-15 दिन के अंतराल पर 0.2 प्रतिशत डाइथेन एम-45 के घोल का एक छिडक़ें।
पछेती झुलसा
यह रोग बरसात के मौसम में लगता है। इसमें पत्ती के किनारे भूरे-काले रंग के हो जाते हैं।
प्रभावित फल में भूरे काले धब्बे बनते हैं, फलस्वरूप पत्तियाँ या फल गिर जाते हैं।
रोकथाम के लिए 10 से 15 दिनों के अन्तराल पर मैन्कोजेब या रिडोमिल एम जेड का छिडक़ाव करें।
जीवाणु उखटा
रोगग्रस्त पौधों की पत्तियां पीले रंग की होकर सूखने लगती है एवं कुछ समय बाद पौधे सूख जाते हैं।
रोकथाम के लिए फसल चक्र अपनायें। 5 ग्राम थायोफनेट-3 ग्राम रीडोनील-6 ग्राम स्ट्रेप्टोसाक्लिन प्रति 15 लीटर पानी के साथ मिलाकर छिडक़ाव करें।
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