उज्जैन में 9711, आलोट में 11111, सैलाना में 10111 और 10001 रुपए तक पहुंचे दाम
मंडी इतिहास में सोयाबीन के शिखर से अधिक भाव के चलते तेजी सुनामी बनकर आ गई।
उज्जैन मंडी में 9711, आलोट में 11111, सैलाना में 10111 और दलौदा में 10001 रुपए के मंडी नीलामी के भाव से व्यापार जगत में हड़कंप मच गया।
सोयाबीन का वायदा सट्टा 6 फीसदी तेजी का सर्किट लगा गया। इसमें एक-एक लाट में सप्ताहभर में ही 2 लाख रुपए का नुकसान लग गया।
लंबे समय से बड़ी तेजी मिलने से वायदा कारोबार में लमसम धन कमाने वाले सब कुछ खोकर घर का धन भी लगा गए।
तेल की धार तलवार की धार से भी तेज भाव की होने से व्यापारी हैरान हैं। मंडी नीलामी शुरू होने के पूर्व प्लांटों को गाड़ी लिखाने वालों को तत्काल 500 रुपए क्विंटल का नुकसान हो गया।
मालवा अंचल की मंडियों में आई बड़ी तेजी का कारण सोयाबीन की कमी और गाड़ी लोड करना जरूरी ऐसे में नीलामी के भाव 11 हजार रुपए तक खींचे गए।
शुक्रवार को मंडी नीलामी में अधिकतम भाव 8650 रुपए थे। जो खुलती मंडी में सोमवार को 9711 रुपए हो गए।
करीब 1100 रुपए की तेजी आ गई। जानकार वर्ग बता रहे भाव सोच से भी अधिक का सफर तय कर रहे हैं।
नए सीजन में 6 भाव पर सोयाबीन बिकना मुश्किल
वायदा डिब्बे में जिन्होंने सोयाबीन बेच रखी थी उन्हें लंबा घाटा उठाना पड़ रहा है। नए सीजन में 6 हजार रुपए से कम भाव पर सोयाबीन बिकना मुश्किल है।
पिछले साल 4000-4500 रुपए सीजन के शुरुआत में बिकी थी।
महंगाई स्थाई उपज की स्थिति अच्छी होने के बाद भी सट्टे वाले बगैर माल के कृत्रिम तेजी लाकर व्यापार को एक अलग दिशा में ले जाना चाहते हैं।
इन भावों का किसानों को कोई फायदा नहीं मिल रहा।
सोयाबीन के भाव बढ़ने के दो कारण
1 डीओसी की मांग ने बढ़ाए भाव
वर्तमान में डीओसी की मांग बढ़ गई है। इसके अलावा सोयाबीन से बने उत्पाद की भी पूछपरख अच्छी बताई जा रही है।
जिनमें सोया दूध, दलिया, बिस्किट, पनीर प्रमुख हैं। व्यापारी जितेंद्र अग्रवाल का कहना है कोरोना के दौरान इसकी मांग ज्यादा बढ़ गई।
नतीजतन ऑफ सीजन में सोयाबीन के भाव में इतनी तेजी दिख रही है।
2 नेपाल से सोया तेल की आवक घटी
कोरोना की पहली लहर के दौरान नेपाल से सोया तेल की आवक बढ़ गई थी। इसका कारण यह बताया जाता है कि नेपाल में सोया तेल पर ड्यूटी नहीं लगती।
वर्तमान में नेपाल के सोया तेल की आवक में कमी आई है। इसी का लाभ स्टॉकिस्ट उठा रहे हैं।
इस पर सरकार का नियंत्रण नहीं होना भी भावों में बढ़ोतरी का कारण माना जा रहा है।
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