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देश में अब नहीं होगी यूरिया की कमी

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मोदी सरकार ने लिया है यह बड़ा फैसला

 

रामागुंडम संयंत्र के शुरू हो जाने से देश में यूरिया के घरेलू उत्पादन में 12.7 लाख मीट्रिक टन वार्षिक का इजाफा हो जाएगा.

यह दक्षिण भारत में सबसे बड़ी उर्वरक निर्माण इकाई बन जाएगी.

 

खरीफ की फसलों बुवाई शुरू होने वाली है. किसानों को बड़ी मात्रा में यूरिया खाद की जरूरत पड़ेगी.

देश को यूरिया के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने उर्वरक विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.

इस मंजूरी के तहत नई निवेश नीति (NIP)-2012, सात अक्टूबर, 2014 के अपने संशोधन के साथ अब रामागुंडम फर्टिलाइजर्स एंड कैमिकल्स लिमिटेड (RFCL) पर भी लागू होगी.

 

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बता दें कि RFCL एक संयुक्त उपक्रम है, जिसमें नेशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (NFL), इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड (EIEL) और फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (FCIEL) शामिल हैं.

इस संयंत्र को गैस गेल द्वारा मिलती है, जो जीएसपीएल इंडिया ट्रांसको लिमिटेड (जीआईटीएल) की एमबीबीवीपीएल (मल्लावरम-भोपाल-भीलवाड़ा-विजयपुर) गैस पाइपलाइन के जरिये प्रदान करता है. 17 फरवरी, 2015 को इसे निगमित किया गया था.

 

नीम-कोटेड यूरिया संयंत्र से बढ़ेगा उत्पादन

आरएफसीएल, एफसीआईएल की पुरानी रामागुंडम इकाई को दोबारा चलाने योग्य बना रहा है.

इसके तहत एक नई गैस आधारित ग्रीन फील्ड नीम-कोटेड यूरिया संयंत्र लगाया जा रहा है, जिसकी उत्पादन क्षमता 12.7 लाख मीट्रिक टन प्रति वर्ष है, आरएफसीएल यूरिया परियोजना की लागत 6165.06 करोड़ रुपये है.

 

आरएफसीएल की उत्कृष्ट गैस आधारित इकाई भारत सरकार की उस पहल का हिस्सा है, जिसके तहत एफसीआईएल/एचएफसीएल की बंद पड़ी यूरिया इकाइयों को दोबारा शुरू करने का लक्ष्य है.

सरकार की पूरी कोशिश है कि यूरिया सेक्टर में भी भारत को आत्मनिर्भरता हासिल हो सके.

 

घरेलू उत्पादन में 12.7 लाख मीट्रिक टन का इजाफा

रामागुंडम संयंत्र के शुरू हो जाने से देश में यूरिया के घरेलू उत्पादन में 12.7 लाख मीट्रिक टन वार्षिक का इजाफा हो जाएगा.

यह दक्षिण भारत में सबसे बड़ी उर्वरक निर्माण इकाई बन जाएगी. इस परियोजना के शुरू होने से न केवल किसानों को उर्वरकों की उपलब्धि में सुधार आयेगा, बल्कि इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में भी इजाफा होगा.

इसके साथ-साथ परियोजना से जुड़े इलाकों में सड़क, रेल, सहायक उद्यम जैसे बुनियादी ढांचे का विकास होगा और देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होगी.

 

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बढ़ेगी यूरिया की गुणवत्ता

आरएफसीएल में कई अनोखी खूबियां हैं, जैसे; आधुनिकतम प्रौद्योगिकी, एचटीईआर (हालदर टॉपसे एक्सचेंज रिफॉर्मर), जिनसे यूरिया संयंत्रों में यूरिया उत्पादन में ऊर्जा की बचत होगी.

साथ ही 140 मीटर ऊंचे प्रिलिंग टॉवर से यूरिया की गुणवत्ता बढ़ेगी, जिससे ऑटोमैटिक रूप से यूरिया खाद बोरों में भर जाएगी और मालगाड़ियों में लाद दी जाएगी.

 

इस तरह रोजाना 4000 मीट्रिक टन यूरिया भेजने की क्षमता उत्पन्न होगी. आरएफसीएल द्वारा उत्पादित यूरिया की खरीद-बिक्री नेशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड करेगा.

 

यूरिया सेक्टर में आएगी आत्मनिर्भरता

भारत सरकार एफसीआईएल/एचएफसीएल की 5 बंद पड़ी इकाइयों को दोबारा चलाने योग्य बना रही है.

यह काम रामागुंडम (तेलंगाना), गोरखपुर (उत्तरप्रदेश), सिंद्री (झारखंड), तलचर (ओडिशा) और बरौनी (बिहार) में 12.7 लाख मीट्रिक टन वार्षिक क्षमता वाले अमोनिया यूरिया संयंत्र लगाकर पूरा किया जाएगा.

 

इस दौरान इस योजना में 40 हजार करोड़ रुपये का निवेश होगा और इसके लिए अग्रणी सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के संयुक्त उपक्रमों को तैयार किया जाएगा.

इन संयंत्रों के चालू होने से घरेलू यूरिया उत्पादन में 63.5 लाख मीट्रिक टन वार्षिक का इजाफा हो जाएगा.

 

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