सोयाबीन की बुआई का समय हो गया है। देश के अधिकांश क्षेत्रों में सोयाबीन की बुआई का उपयुक्त समय 15 जून से जुलाई के पहले सप्ताह तक है। जिसको देखते हुए कृषि विभाग द्वारा किसानों को सोयाबीन की बुआई के लिए उपयोगी सलाह जारी की गई है।
जारी सलाह में बताया गया है कि यह सप्ताह सोयाबीन की बुआई के लिए सबसे उपयुक्त है।
कृषि विभाग के मुताबिक किसानों को मानसून के आगमन एवं न्यूनतम 100 मिली मीटर वर्षा के पश्चात भिन्न समयावधि वाली सोयाबीन की 2 से 3 किस्मों का उपयोग करना चाहिये।
सोयाबीन की बुआई
किसानों को सोयाबीन की बुआई के लिए 60 से 70 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बीजों की बुआई करनी चाहिए।
साथ ही कतारों की दूरी 45 सेंटीमीटर तथा पौधे से पौधे की दूरी 5 से 10 सेंटीमीटर रखनी चाहिये। साथ ही बीज को 2 से 3 सेंटीमीटर की गहराई पर बोना चाहिये।
किसान इस तरह करें सोयाबीन की बुआई
जहां तक संभव हो किसानों को सोयाबीन की बुआई रिज-फरो पद्धति से करें ताकि बाढ़, जलभराव, सूखा, लगातार वर्षा से फसल को होने वाले नुकसान को कम किया जा सके।
बीज एवं उर्वरक मिलाकर सोयाबीन की बुआई नहीं करनी चाहिए। इससे बीज सड़ने का खतरा रहता है।
अतः अनुशंसित उर्वरकों को या तो सीड-कम-फर्टिलाइजर से डाले अथवा बुआई से पहले अपने खेत में छिड़काव करें उसके बाद ही सोयाबीन की बुआई करें।
सोयाबीन में कितना खाद डालें?
सोयाबीन की फसल में उर्वरकों का प्रयोग केवल बुआई के समय अनुशंसित किया गया है।
अतः पोषक तत्वों की पूर्ति हेतु 25:60:40:20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश व सल्फर की पूर्ति के बुआई के समय डालें।
मध्य क्षेत्र के किसान निम्न खादों में से किसी खाद का छिड़काव कर सकते हैं।
यूरिया 56 किलोग्राम + 375-400 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट + 67 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश अथवा डीएपी 140 किलोग्राम + 67 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ़ पोटाश + 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बेंटोनेट सल्फर अथवा मिश्रित उर्वरक 12:32:16 200 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर + 25 किलोग्राम बेंटोनेट सल्फर प्रति हेक्टेयर का छिड़काव कर सकते हैं।
बोनी के समय बीज का उपचार आवश्य करें, ताकि फफूंद जनित एवं कीट जनित रोगों से सुरक्षा हो सके।
किसानों को बीज का फफूंदनाशी, कीटनाशक एवं जैविक कल्चर से क्रमानुसार उपचार करने की सलाह भी उन्होंने दी है।
यह भी पढ़े : कम खर्च में अच्छे उत्पादन के लिए किसान करें जैव उर्वरकों का प्रयोग