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पत्नी को सांस की हुई तकलीफ तो पति ने लगा दिए 500 पौधे

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बिहार के पटना के रहने वाले अशोक सिंह उर्फ बंगाली बाबा की पत्नी मनोरमा देवी की साल 2011 में तबीयत खराब हो गई.

फिर जैसे-जैसे उन्होंने गांव में पेड़ लगाना शुरू किया और उसकी संख्या बढ़नी शुरू हुई, वैसे- वैसे उनकी पत्नी की सांस से जुड़ी बीमारी खत्म होती चली गई.

 

अब ‘ऑक्सीजन मैन’ बुलाते हैं लोग

राजधानी पटना से करीब 20 किलोमीटर दूर पुनपुन स्टेशन से अकौना गांव की दूरी करीब तीन से चार किलोमीटर है.

यहां के रहने वाले 70 साल के अशोक सिंह उर्फ बंगाली बाबा अपनी पत्नी को स्वस्थ्य रखने के लिए पिछले 13 साल से पौधे लगा रहे हैं.

ये सभी पौधे अब पेड़ में तब्दील हो गए हैं. इस इलाके में बंगाली बाबा की तरफ से लगाए गए पेड़ों की संख्या 500 तक पहुंच चुकी है.

बंगाली बाबा का कहना है कि जब से उन्होंने ने पेड़ लगाना शुरू किया है.

उसके बाद से उनकी पत्नी मनोरमा देवी को सांस लेने के दौरान आने वाली दिक्कत पूरी तरह से ठीक हो चुकी है.

साथ ही गांव में पेड़ पौधों की संख्या भी काफी बढ़ गई है.

दो दशक पहले पेड़ लगाने के लिए अपने को समर्पित करने वाले बंगाली बाबा आज भी अनवरत नेक कार्य में लगे हुए हैं.

 

बंगाली बाबा के चलते पूरा गांव ले रहा शुद्ध ऑक्सीजन

किसान तक के मुताबिक मौसम बदलते रहते हैं, लेकिन अशोक सिंह के द्वारा पेड़ लगाने का काम खत्म नहीं हुआ है.

वे आज भी सुबह और शाम पेड़ों की देख भाल करते हैं. लोगों को अधिक से अधिक ऑक्सीजन मिले.

इसके लिए वे पाकड़, पीपल, बरगद, बेल, कदम व जामुन के पेड़ लगाते हैं. आज इनकी बदौलत पूरा गांव शुद्ध ऑक्सीजन ले रहा है.

 

पेड़ों की संख्या बढ़ाने से सही हुई मनोरमा देवी की तबीयत

बंगाली बाबा बताते हुए कहा कि साल 2011 में उनकी पत्नी मनोरमा देवी की तबीयत खराब हो गई.

गांव में पेड़ों की संख्या बढ़नी शुरू हुई, वैसे- वैसे उनकी पत्नी की सांस से जुड़ी बीमारी खत्म होती चली गई.

आगे बंगाली बाबा कहते हैं कि वह बरसात के समय हर साल करीब पचास से साठ पेड़ लगाते है.

पूरे साल उन पेड़ों की देखभाल सुबह- शाम करते हैं. करीब 500 से अधिक पेड़ इनके द्वारा अभी तक लगाया जा चुका है.

 

आसपास के लोग करते हैं मदद

अकौना गांव के बंगाली बाबा कहते हैं कि पेड़ लगाने का काम तो अकेले शुरू किया था, लेकिन आज इस बूढ़े हाथ के साथ मेरा गांव खड़ा है.

वहीं पुनपुन बाजार के कई ऐसे लोग हैं जो पेड़ लगवाने के साथ कई तरह से मदद भी करते हैं.

वहीं उन लोगों के द्वारा ही बंगाली बाबा के नाम से टी-शर्ट भी दिया गया है, जिससे लोगों को उन्हें पहचाने में दिक्कत नहीं हो सके.

वहीं वे बंगाली बाबा के नाम को लेकर बताते है कि आज से 25 साल पहले लोग मुझे अशोक सिंह के नाम से ही जानते थे.

लेकिन जब जीविकोपार्जन के लिए बंगाल गया और वहां से आया तो लोगों ने प्यार से बंगाली बाबा कहना शुरू कर दिया.

उसके बाद से बंगाली बाबा के नाम से मशहूर हो गया. अब बंगाली बाबा के अलावा लोग उन्हें ऑक्सीजन मैन के नाम से भी पुकारते हैं.

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