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सोयाबीन में कौन सा खाद डालें जिससे उत्पादन अधिक मिलेगा

कृषि विशेषज्ञों से जानें

 

खरपतवार नाशक दवाई छिड़कने के कब सोयाबीन कमजोर हो गए हैं।

सोयाबीन की अच्छी ग्रोथ के लिए कृषि विशेषज्ञ क्या कहते हैं जानिए

 

देशभर में हो रही लगातार बारिश से गलत्या खेत में सोयाबीन की फसल कमजोर हो गई है।

इसके साथ ही फसल में किट व रोग का प्रभाव होने लगा है।

किसान भाई बता रहे हैं कि खरपतवार नाशक दवाई छिड़कने के बाद सोयाबीन की बढ़वार रुक गई है।

 

अब किसान कृषि विशेषज्ञों से जानना चाहते हैं कि सोयाबीन की फसल के लिए अच्छी ग्रोथ एवं कीट रोग प्रबंधन के लिए कौन-कौन से कृषि उपाय किए जाएं, ताकि सोयाबीन की फसल से अच्छा उत्पादन मिल सके।

इसके लिए अब कृषि विशेषज्ञ उचित खाद प्रबंधन का सुझाव दे रहे हैं, इसके अलावा कृषि विशेषज्ञ अन्य क्या जरूरी बातें बता रहे हैं वह जानिए।

 

गलत्या खेत में सोयाबीन की बढ़वार के लिए यह करें

सोयाबीन की फसल अधिकांश इलाकों में 1 महीने की हो गई है।

इसी दौरान प्रदेश के कई मध्य प्रदेश के कई हिस्सों में जबरदस्त बारिश होने के कारण सोयाबीन की बढ़वार रुक सी गई है।

सोयाबीन के पौधों की जड़े गलने लगी है वहीं कई क्षेत्रों में खरपतवार कीटनाशक के छिड़काव के कारण भी फसल कमजोर हो गई है।

सोयाबीन फसल की अच्छी ग्रोथ के लिए कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि सोयाबीन की फसल को ज्यादा बारिश के दौरान नाइट्रोजन की अत्याधिक आवश्यकता रहती है।

नाइट्रोजन की कमी के कारण फसल में पीलापन आता है, यह स्थिति तब निर्मित होती है जब खेतों में पानी भरा हुआ रहता है।

किसान इस समस्या के निदान के लिए सर्वप्रथम अपने खेतों से पानी की निकासी का पर्याप्त प्रबंधन करें।

 

सोयाबीन फसल में पीलापन दूर करने के लिए यह करें

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि सोयाबीन के पौधों को सूर्य की धूप नहीं मिलने के कारण सोयाबीन में पीलापन आता है।

कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि सूर्य की धूप आने पर प्रकाश संश्लेषण क्रिया होगी तो अपने आप सोयाबीन की ग्रोथ होने लगेगी।

लगातार ऐसी स्थिति बनी रहने पर किसान नैनो यूरिया (उर्वरक) का छिड़काव कर सकते हैं।

इस दौरान ध्यान इस बात का रखा जाएगी धूप निकलने के दौरान नैनो यूरिया का छिड़काव ना करें।

इसके छिड़काव के पश्चात सोयाबीन के पौधे में फल फूल भी अच्छा आएगा एवं पैदावार भी बढ़ेगी।

 

सोयाबीन में कीट रोग प्रबंधन के लिए यह करें

सोयाबीन की फसल पर इस समय तना मक्खी किट का प्रभाव देखने को मिल रहा है, इससे उत्पादन पर असर पड़ सकता है।

तना मक्खी किट के प्रमुख लक्षण पत्तियों का मुरझा जाना व पौधों में पीलापन होना है।

इसके नियंत्रण के लिए पूर्व मिश्रित कीटनाशक थायोमिथोक्सम 12.60 % के साथ में लेम्बड़ा सायहेलोथ्रिन 09.50 प्रतिशत जेड.सी. का छिड़काव करें।

इसी तरह सोयाबीन फसल में सेमिलूपर के नियंत्रण हेतु फूल आने से पहले ही क्लोरइंट्रानिलिप्रोल 18.5 एस.सी. का छिड़काव किए जाने पर इस किट से निजात पा सकते हैं।

 

खरपतवार नियंत्रण के लिए इन बातों का विशेष ध्यान रखें

जब सोयाबीन की फसल एक माह की हो जाए तो सबसे पहले खरपतवार यहां पर पूरी तरह कंट्रोल हो जाना चाहिए।

खरपतवार कंट्रोल करने के लिए अगर बारिश रुकी हुई है तो आप डोरे चलवाईये और डोरे ज्यादा बार नही चलवाएं एक या दो बार ही चलावे।

अगर बारिश ज्यादा दिन तक नही आए तो आप निदाई खुदाई करवा सकते हो।

बस खरपतवार को कंट्रोल करना है। और डोरे चलाने का समय नही मिलता है।

 

सोयाबीन में रसायनिक दवाई का प्रयोग कब करें

 सोयाबीन की फसल लगभग 20 से 30 दिनों के बाद ही डालें। दवाई इतनी डाले जितनी उसके पैकेट पर या बाटल पर लिखी है।

दवाई का डोज ज्यादा नही डाले। दवाई उतना ही रखना है जितना कम्पनी द्वारा बताया गया है।

एक एकड़ में जो दवाई की मात्रा बताई गई उतनी ही डाले। दवाई डालते समय आपको कुछ सावधानियां रखना है।

 

रासायनिक दवाई डालते समय इन बातों का भी ध्यान रखें :-
  • जब आप दवाई डाल रहे हो तब खेत में अच्छी नमी होना चाहिए।
  • सूखे खेत में दवाई ना डाले।
  • जिस दिन दवाई डाल रहे हो उस दिन बारिश नही आना चाहिए। मौसम देखकर दवाई डाले।
  • बारिश के बाद जब थोड़ी धूप निकले, हवा चले तब दवा डालेंगे तो दवा असर अच्छा करेगी।
  • अगर ज्यादा खरपतवार है तो आप अगर उदाहरण प्रति एकड़ आप 10 टंकी का का छिड़काव कर रहे हो तो आप उसे 12 टंकी कर दवाई नही बढाना है पानी बढाए।

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