जानिए फर्टिलाइजर कंपनियों को सरकार ने क्या आदेश दिए
केंद्र ने चालू वित्त वर्ष 2021-22 के लिए फॉस्फेट और पोटास (पी एंड के) उर्वरकों के लिए पोषक तत्वों पर आधारित सब्सिडी दरों को आगामी आदेशों तक अपरिवर्तित रखा है.
देश में खाद के दाम में बढ़ोतरी को लेकर बवाल मचा हुआ है. इस बीच सरकार की ओर से कहा गया है कि खाद की कीमतों में बढ़ोतरी नहीं की जाएगी.
रासायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने अपने एक बयान में कहा कि उर्वरक की कीमतों में वृद्धि और इसकी उपलब्धता के बारे में देश में स्थिति पर चर्चा के लिए भारत सरकार द्वारा एक हाई लेवल मीटिंग बुलाई गई है. सरकार ने खाद कंपनियों को दाम नहीं बढ़ाने के आदेश दिए हैं.
एक टीवी न्यूज चैनल ने फर्टिलाइजर मंत्री के हवाले से कहा कि किसानों के हित को देखते हुए फर्टिलाइजर्स की कीमतों में बढ़ोतरी नहीं होगी.
यह भी पढ़े : इस पेड़ पर साल भर लगते हैं आम
अलग अलग कंपनियों ने डीएपी का नया रेट
देश के सबसे बड़े उर्वरक विक्रेता इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर को-ऑपरेटिव (IFCO) ने गैर यूरिया उर्वरकों की कीमतें 58 फीसदी तक बढ़ा दी.
हालांकि, बाद इफको ने कहा कि वो अगले 11 लाख मीट्रिक टन से अधिक कॉम्लेक्स फर्टिलाइजर (डीएपी, एनपीके, एनओपी) की बिक्री 1 अप्रैल से पुराने रेट पर ही बेचेगा.
अलग अलग कंपनियों ने डीएपी का नया रेट प्रति बैग (50 किलो) 1400 से लेकर 1900 रुपये तक कर दिया है.
जबकि यह 31 मार्च तक 1200 रुपये ही था. दाम में रिकॉर्ड 58.33 फीसदी तक की बढ़ोत्तरी हुई है.
केंद्र ने नहीं बदला दाम
केंद्र ने शुक्रवार को चालू वित्त वर्ष 2021-22 के लिए फॉस्फेट और पोटास (पी एंड के) उर्वरकों के लिए पोषक तत्वों पर आधारित सब्सिडी दरों को आगामी आदेशों तक अपरिवर्तित रखा है.
पिछले वित्त वर्ष के लिए, सरकार ने नाइट्रोजन (एन) के लिए सब्सिडी दर 18.78 रुपये प्रति किग्रा, फॉस्फेट (पी) के लिए 14.88 रुपये प्रति किग्रा, पोटाश (के) के लिए 10.11 रुपये प्रति किग्रा और सल्फर (एस) के लिए 2.37 रुपये किलो तय की थी.
पी एंड के उर्वरकों पर पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) योजना अप्रैल 2010 से द्वारा संचालित है.
यह भी पढ़े : किसानों के लिए बड़े काम की है ये योजना
हर साल निश्चित सब्सिडी
डीएपी, म्यूरेट आफ पोटाश और एनपीके जैसे गैर-यूरिया उर्वरकों की खुदरा कीमतें विनियंत्रण के दायरे से बाहर है तथा निर्माताओं द्वारा निर्धारित की जाती हैं, जबकि केंद्र उन्हें हर साल निश्चित सब्सिडी देता है.
डीएपी की साल दर साल डिमांड
- डीएपी की डिमांड 2019-20 में 103.30 लाख मीट्रिक टन हो गई थी.
- एनपीके (नाइट्रोजन-N, फास्फोरस-P, पोटेशियम-K) की मांग 2019-20 में 104.82 लाख मीट्रिक टन हो थी.
- एमओपी (Muriate of Potash) की मांग 2019-20 में 38.12 लाख मिट्रिक टन थी.
यह भी पढ़े : किसानों के खाते में इस तारीख तक आएगी 2000 रुपये की आठवीं किस्त
शेयर करे